Thursday 18 August 2016

भाषा भारती

भाषा भारती के प्रथम संस्करण के हाथ में आते ही इसके  आवरण ने ही मन मोह लिया।  हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के उध्येश्यों को प्रतीकात्मक स्वरूप देते रंगोली( देश के विभिन्न भाषायी रंग )के बीच छेत्रिय भाषाओं के बीज सरीखे  वर्णाक्षर  और फिर उगते  खिलते फूल(भारत )में केंद्रित लाल लाल डोडे (हिंदी ) हिदुस्तानि भाषा अकादेमी की एक ओर जहाँ हिंदी के संवर्धन और सरंक्षण को दर्शातें हैं वही छेत्रीय भाषाओं के प्रचार -प्रसार के अभिलाषा को भी उजागर करतें हैं।

सुंदर आवरण के साथ साथ भाषा भारती में छपी सामग्री अत्यंत ही रोचक, ज्ञानवर्द्धक तो हैं ही हिंदी साहित्य क्षेत्र से जुड़े कुछ उभरती और कुछ मुख्यधारा से जुड़े  साहित्यकारों की रचनाओं से भी यह पत्रिका हमको रूबरू कराती हैं।  हिंदी भाषा का विकास, उन्नयन  एवं इनसे  जुडी समस्याओं -समाधानों सम्बंदित सभी लेख और माहिये , कवितायें ,कहानी, पुस्तक समीक्षा इत्यादि एक उच्च स्तरीय हिंदी पत्रिका से मानो साक्षात्कार करा रहें हों। 

सर्वश्री सुधाकर पाठक  जी , डॉ. पवन विजय जी और डॉ. किरन  मिश्रा  जी   के  हिंदी भाषा को भारत राष्ट्र में अपना उचित स्थान  प्राप्ति के सपनों को अपने सतत प्रयासों के फलस्वरूप भाषा भारती का पदार्पण हिंदी साहित्य जगत में हुआ है जो समस्त हिंदी भाषा जगत को एक संबल प्रधान करेगा ।  आशा है यह पत्रिका जन जन के, साहित्य मनीषियों के मानस में शीघ्र ही अपना स्थान बना लेगी और त्रैमासिय पत्रिका के स्थान पर इसका प्रकाशन मासिक हो जाएगा।  हिंदुस्तानी भाषा अकादमी को साधुवाद और हार्दिक बधाई। 
त्रिभवन कौल 
स्वतंत्र लेखक –कवि
18-08-2016



2 comments:

  1. Sudhakar Pathak
    August 18 at 6:41pm
    हार्दिक आभार आदरणीय ।
    -----------------------via TL

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  2. डॉ किरण मिश्रा
    August 19 at 1:50pm
    Aabhar
    ---------------via fb/TL

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