Sunday 15 January 2017

World Book Fair 2017

Few snaps of visit to World Book Fair 2017 on 12th, 13th & 14 January 2017. Unforgettable journey with some of the luminaries of the hindi literary world of India.

विश्व पुस्तक मेला २०१७ के दिनांक १२,१३ और १४ जनवरी २०१७ के चंद यादगार पल छाया चित्रों में कैदआपकी नज़र:-
दिनांक १२ जनवरी २०१७ को  विश्व पुस्तक मेले में सुखद अनुभूति का अनुभव हुआ जब माननीय डॉ  रमेश पोखरियाल "निशंक"जी (जो  प्रख्यात कवि हैं  एवं उत्तराखण्ड राज्य के पाँचवे मुख्यमंत्री रहे हैं), श्री  लालित्य ललित जी  (नेशनल बुक ट्रस्ट /संपादक), श्री सुधाकर पाठक जी (संस्थापक, हिंदुस्तानी भाषा अकादेमी ,), डॉ. रमेश कुमार चौधरी जी (प्रकाशक , अभिषेक प्रकाशन ), श्री अरविन्द योगी जी (संपादक और कवि, अखंड भारत ), श्री भूपेंद्र सेठी 'अमन ' जी, डॉ. पुष्पा रानी जी (प्रोफेसर हिंदी विभाग , कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ) और सुश्री वसुधा कनुप्रिया जी (कवियत्रि एवं संस्थापक पर्पल पेन ) जैसे  साहित्य मनीषियों से, सुधिजनो से, साहित्यकारों से  अल्पसमय के लिए ही सही पर आत्मीय भेंट एक संतोष प्रधान कर गया।  इसके साथ ही हिन्द युग्म के स्टाल पर पिरामिड और हाइकू काव्यसंकलनो को पा कर अपार हर्ष का आभास हुआ। मेरी जीवन संगनी भी उन पलों को समेटने मेरे साथ साथ रही। 

विश्व पुस्तक मेले का १३ जनवरी २०१७ का दिन एक अविस्मरणीय दिन रहा जब मुझे भारत के प्रसिद्ध  हास्य रस कवियों एवं व्यंगकारों के समक्ष अपनी हास्य रस की एक चतुष्पदी सुनाने का अवसर मिला।  मौका था माध्यम साहित्यक संस्थान , लखनऊ एवम हास्य-व्यंग की पत्रिका 'अट्टहास ' द्वारा आयोजित जग प्रसिद्ध हास्य कवि  पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा जी को  'अट्टहास शिखर सम्मान 'और युवा  हास्य कवि श्री अशोक स्वतंत्र जी  कॊ 'युवा अट्टहास सम्मान' प्रधान करने का था।  आयोजन में प्रख्यात हास्य कवि और व्यंगकार  श्री अशोक चक्रधर जी समेत श्री हरीश नवल जी , श्री अनूप श्रीवास्तव जी , श्री अरुण खरे जी, श्री अरुण जेमिनी जी , श्री प्रवीण शुक्ल जी ,श्री रामकिशोर उपध्याय जी , श्री सुरेशपाल वर्मा 'जसाला ' जी, डॉ. पुष्पा जोशी जी  और डॉ.पवन विजय जी की स्नेहमय उपस्तिथि रही।

विश्व पुस्तक मेले में १४ जनवरी २०१७ का दिन हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के तत्वाधान में हुए सुश्री सीमा सिंह , सुश्री अनीता , सुश्री नीरजा कमलनी के पुस्तक लोकार्पण और हिंदी की राष्ट्रिय स्वीकार्यता पर परिचर्चा के दौरान  सुश्री शशि त्यागी जी, सुश्री सीमा सिंह जी, श्री समोद सिंह चरौरा जी, श्री देओ नारायण शर्मा जी , श्री मनोज कामदेव जी .श्री सुकुमार जी , श्री सरफ़राज़ जी  आदि गणमान्य साहित्य मनीषियों से, सुधिजनो से, साहित्यकारों से  आत्मीय भेंट  भी एक सुखद अनुभूति दे गयी।
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