Friday 31 March 2017

राजस्थान प्रान्तीय कवि सम्मेलन,जयपुर 25-03-2017






25 March 2017
संजय कुमार गिरि ,जयपुर,
एम.आई रोड स्थित राजस्थान चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री केभैरोसिंह शेखावत हाल में युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच,दिल्ली के तत्वावधान में राजस्थान प्रान्तीय कवि सम्मेलन, साझा संकलन उत्कर्ष काव्य सग्रह(द्वितीय) का लोकार्पण एवं साहित्यकार सम्मान समारोह आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार त्रिभवन कौल ने की | युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय के सानिध्य में संम्पन्न इस आयोजन में मुख्य अतिथि डा.बजरंग सोनी (वरिष्ठ स्त्रीरोग चिकित्सक एवं साहित्यकार), प्रो.शरद नारायण खरे (वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रभारी प्राचार्य /राजकीय पी.जी.कॉलेज .मंडला/मध्य प्रदेश ) वीणा चौहान(अध्यक्ष/राजस्थानलेखिकासाहित्यसंस्थान),युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच की राजस्थान प्रभारी प्रमिला आर्य (कोटा ), शकुंतला सरूपरिया,वरिष्ठ साहित्यकार,डा.अनंत भटनागर,वरिष्ठ शिक्षाविद एवं समाजसेवी, जितेन्द्र शर्मा पम्मी ,साहित्यकार/ कोटा, ओम नागर ,ज्ञानपीठ से पुरस्कृत प्रखर युवा साहित्यकार (कोटा) आदि सम्मिलित सभी विशिष्ट अतिथियों का शाल,पुष्प माल और प्रतीक चिन्ह देकर युवाउत्कर्ष साहित्यिक मंच की ओर से सम्मान किया गया | प्रमिला आर्य (प्रभारी राजस्थान )एवं शिवानी शर्मा ने अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण पढ़ा| मंजु वशिष्ठ की सुंदर माँ शारदे के वंदना के साथ प्रारंभ हुए इस समारोह में उत्कर्ष काव्य संग्रह (2) के मुख्यसंपादक के अतिरिक्त संपादक-मंडल के सदस्य सर्वश्री त्रिभवन कौल सुरेश पाल वर्मा जसाला,ओम प्रकाश शुक्ल,संजय कुमार गिरि, डा.सविता सौरभ एवं शिवानी शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति में 55 सशक्त रचनाकारों के साझा संकलन ‘’उत्कर्ष काव्य –संग्रह(द्वितीय)’’ का सम्मानीय अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया |
इस अवसर पर मंच के महामंत्री ने मंच के विषय में अपने विचार रखे तत्पश्चात मुख्य संपादक रामकिशोर उपाध्याय ने इस संकलन की विशेषताओं पर प्रकाश डाला और प्रो.शरद नारायण खरे में लोकार्पित पुस्तक के विषय में अपना लेख पढ़ा और सुंदर आवरण सज्जा एवं उत्कृष्ट रचनाओं के लिए सम्पादक मंडल सहित सभी सम्मिलित रचनाकारों को बधाई दी|
इस अवसर पर हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट लेखन के लिए प्रमिला आर्य को साहित्य भूषण, प्रो.शरद नारायण खरे, लक्ष्मणप्रसाद रामानुज लड़ीवाला,ओम नागर एवं जितेन्द्र शर्मापम्मी को साहित्यरत्न सम्मान एवं साहित्य गौरव सम्मान शकुंतला तंवर, वीणा सागर, भाग्यम शर्मा, किशोर पारीक अमित टंडन, शांतनु बरार,सुरेश गोस्वामीसुरेश को दिया गया | साथ-साथ वरुण चतुर्वेदी, शोभा चंदर पारीक,प्रज्ञा श्रीवास्तव एवं विनीता सुराना को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए सारस्वत सम्मान किया गया |सभी आमंत्रित अतिथियों ने इस सुंदर आयोजन की भूरि –भूरि प्रशंसा की |

कवियों द्वारा पढ़ी पंक्तियाँ ---प्रज्ञा श्रीवास्तव ने बहुत शानदार पढ़ा ---
बेटी हूँ तो क्या मुझको अधिकार नहीं है जीने का
बेटे बेटी का भेद अभी भी बहुत अधिक है

शोभा चंदर पारिक ने पढ़ा --
शोभा को तेरी शान बढाने का हुनर दे
रोते हुए इंसा को हसाने का हुनर दे

शंकुंतला तंवर ने पढ़ा --
सारा उपवन पास तुम्हारे
मुझे मिली इक टहनी है

कवि सुरेश गोस्वामी ने पढ़ा --
अब सभी भाई बड़े होने लगे
इसलिए शायद घड़े होने

शेखर स्वप्न ने पढ़ा ---
मेरे दयार से मेरा मयार ना देखिये
बड़ा किरदार रखता हूँ अदना से कद में
रंगमंच के प्रसिद्द कलाकार एवं कवि विजय दानिश ने भी बखूबी अपना काव्य पाठ किया --
कौन समझाए अब प्रीत की रीत को
जो पुजारी थे खुदा हो गए

उदय पुर से आई कवियत्री ज्योत्स्ना सक्स्सेना न पढ़ा ---
पुतले बन खड़े हैं पूरा निभाएं खुद को
परदे गिरा देना किरदार है तुम्हारे

जयपुर के कवि मुकेश शर्मा ने पढ़ा
हाँ मैं भी करता था कभी कविता
पर अब कहाँ लिख पाता हूँ कुछ भी

कवियत्री अंजली शर्मा ने पढ़ा --
मेरे कल की सुर्खियाँ पढूं या देखूं तेरी तरोताज़ा अंगडाईयों को
कवियत्री सपना शर्मा ने पढ़ा ----
मेरे शहर में सज़दा करके लौट जाने वालों के नाम भी अब याद नहीं

जयपुर की कवियत्री अर्चना शर्मा ने पढ़ा ---
इक दिन अचानक प्यारा सा कुछ लिखते हैं

चन्द्र प्रकाश पारिक ने शानदार मुक्तक पढ़ा --
तुमको देखा तो होश खो बैठा
तू ही बतला मेरी खता क्या है

कवियत्री वीणा शर्मा सागर ने भी बहुत खूब पढ़ा --
आदमी को रहा ढूंढता आदमी
आदमी में रहा ही कहाँ आदमी

नवांकुर कवि श्याम वशिष्ठ ने भी बहुत शानदार पंक्तियाँ पढ़ी ---
जिंदगी बोझ से दबी महसूस होती है
आंखो में हर पल नमी महसूस होती है
बैठे हैं यूँ तो भरे पूरे परिवार में
फिर भी आपकी कमी महसूस होती है।।

नवांकुर कवियत्री मीनाक्षी माथुर ने पढ़ा --
औरत हूँ कोमल सी न समझो कमजोर मुझे
उलझी हूँ थोड़ी सी न परखो मुझे

उदय पुर से आई कवियत्री एवं साहित्यकार शकुन्तलासरुप्रिया
ने भी बहुत सुन्दर ग़ज़ल कुछ यूँ पढ़ी --
अक्सर क्यों खो जाती बेटियाँ
बेघर क्यूँ हो जाती बेटियाँ
दुनिया में आते ही गम का
दस्तर क्यूँ हो जाती बेटियाँ

साहित्यकार त्रिभुवन कौल ने पढ़ा --
रिश्ते सारे सिमट गए तकनीकी औजारों में
चर्चा अब होती नहीं गलियों में बाजारों में

दिल्ली से आये साहित्यकार एवं कवि श्वेताभ पाठक ने जब अपना सुन्दर काव्य पथ किया तो सभी श्रोता मंत्र्मुघ्ध 

हो गए --अरे मन , दिन दिन बीतत जात ।
काल कुठार लिए कर डोलत , देखत पल पल घात ।
श्वेत प्रभात काज सब करि ले , अन्यथा रात ठगात ।

कवि किशोर पारिक ने पढ़ा --
यारो मेरा मन उदास है
कैसे मैं झेलू होली

कवियत्री शिवानी शर्मा ने बहुत शानदार मुक्तक कुछ यूँ पढ़ा --
मेरी दीवानगी हद से ज्यादा उनको खलती है
नफरतें हिन् नफरतें जिनके दिल में पलती है
मिटा सकते नहीं हस्ती भ्रम जितना भी फैला लो
भुला देती हूँ मैं हंसकर जो भी उनकी गलती है

मुख्य अतिथि डॉ बजरंग सोनी ने अपने वक्तव्य के दौरान एक रचना कुछ यूँ पढ़ी --
एक रंग वजूद तेरी पहचान नहीं है
घर की छत कहीं से भी असमान नहीं है

पत्रकार एवं कवि अमित टंडन ने पढ़ा --
मश्वरें लाख देते हैं नुक्ता'ची कई मुझको
ये वो ही हैं जो उम्दा शे'र पर दाद नहीं देते

कवि और साहित्यकार ओम प्रकाश शुक्ल ने भी एक मार्मिक रचना कुछ यूँ पढ़ी
पुत्र को बड़ा होते निहारता हूँ
स्वयं का बचपन उसमे
और आप का अक्स
स्वयं मे पाता हूँ
और अपने भाग्य पर
धन्य हो जाता हूँ

हिंदी के प्रख्यात साहित्कार एवं कवि ने रामकिशोर उपाध्याय ने भी इस अवसर एक सुन्दर मुक्तक पढ़ा
भगवा मेरे अन्दर है पर हरा पहनकर आया हूँ
शौर्य शांति का ध्वज तिरंगा लेकर इतराया हूँ
आओ मिलकर देश बनाये,छोड़ों जंग की बातों को
संग जिए और संग मरे हम,यह संदेशा लाया हूँ

कवि एवं साहित्यकार सुरेश पाल वर्मा ने भी एक शानदार रचना कुछ यूँ पढ़ी ---
मैं महाशिला का कण हूँ,
अभिभूत हूँ मन से,
अस्तित्व है मेरा तब से,
धरा है धरा ने जन्म जबसे,
प्रलय की विभीषिकाओं में भी,
मै जिंदा हूँ निरन्तर,
हूँ मैं महाशिला का कण अभ्यंतर,,,

बनारस से आई राष्ट्रीय कवियत्री एवं गीतकार डॉ सविता सौरभ ने पढ़ा
जबसे फागुन का यह मौसम आया है
लगता जैसे हर कोई बौराया है
बिना पिए ही मदहोशी का आलम है
परचम केसरिया जबसे लहराया है।
रिष्ठ साहित्यकार एवं कवि प्रो.शरद नारायण खरे ने पढ़ा
राह पथरीली बहुत थी,फिर भी हम चलते रहे ,
मन में मंज़िल के लिए ,अरमां सदा पलते रहे !
बन न पाए भास्कर,तो भी न हम मायूस हैं,
दीप बनकर रोशनी के हित में तो जलते रहे !!

कवियत्री "मंजु वशिष्ठ राज"ने बहुत शानदार गीतिका पढ़ी
सुनाओ फिर मेरे प्रीतम, पुरानी प्यार की बातें।
पुरानी प्यार की बातें, वही मनुहार की बातें।।

दिल्ली से आये कवि एवं पत्रकार संजय कुमार गिरि ने अपनी एक पढ़ा
नहीं सहूंगा अत्याचार हर जुर्म को मैं मिटाऊंगा
भारत माँ चरणों में तेरे दुश्मन का शीश झुकाउंगा
जिन्दगी फिर से मिली तो भगत सिंह बन जाऊँगा
हँसते हँसते देश की खातिर फांसी में चढ़ जाऊँगा


प्रातः दस बजे से पांच बजे तक चले कार्यक्रम में राजस्थान,उत्तर प्रदेश,हरियाणा,दिल्ली एवं महाराष्ट्र के विभिन्न अंचलों से पधारे अनेक कवियों और कवयित्रियों ने अपना –अपना सुंदर काव्य-पाठ किया |सम्मिलित कई रचनाकारों ने अपना पहला काव्य पाठ इस मंच से किया और सभी नवोदित रचनाकारों को ‘उत्कर्ष काव्य-संग्रह(प्रथम) की एक प्रति भेंट की गई | कायर्क्रम का शानदार मंच सञ्चालन शिवानी शर्मा एवं श्वेताभ पाठक ने बहुत ही लाजबाब अंदाज़ में किया !अंत में शिवानी शर्मा को ‘श्रेष्ठ साहित्यिक समन्वयक सम्मान देकर उनकी इस आयोजन में भूमिका कोसराहा गया | समारोह के अध्यक्ष त्रिभवन कौल ने सभी अतिथियों,आयोजन सहयोगियों एवं उपस्थित साहित्यकारों के प्रति आभार व्यक्त किया | ===========================================================









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