Sunday 27 August 2017

दुपदी (Couplet-20)


कर दिया बदनाम 'राम' के नाम को भी,  बेशर्म संतो

'मरा ' 'मरा ' का काल, तुम्हारे नसीब , वह भी नहीं है ।


kar diya badnaam 'Ram' ke naam ko bhi , besharm santo
'mra'  'mra ' kaa kaal, tumhare naseeb, wh bhi nahi hai. 
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त्रिभवन कौल
27-08-2017/posted on FB / Wriiten  on the arrest of Baba Ram Raheem of Dera Saccha Sauda on 25 the Augsut 2017 on rape charges (convicted) and following carnage by his followers.
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Friday 25 August 2017

गणेश जी की प्रार्थना

Today, the 25th of August 2017 Ganesh Chaturthi , we brought home Gajanana to usher festivities relating to Ganeshutsav. May Lord Ganesh usher good health and prosperity for every human being on this planet. Tathastu.





यह आरती गणपति जी की मराठी आरती से प्रेरित तो है पर उसका अनुवाद बिलकुल नहीं है. हाँ पहला मुखड़ा जरूर मराठी आरती के समान ही लिखा गया है. अगर यह आरती मेरे पाठकों को पसंद आ गयी तो मेरी इच्छा होगी  कि यह आरती भारत के घर घर में गयी जाये.


गणेश जी की प्रार्थना
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जय देव, जय देव , मंगल मूर्ती
सब की करते आप कामना पूर्ती ....जय देव जय देव.

जब कोई आपके दर पर आता
खाली हाथ कभी नहीं जाता .......जय देव जय देव

आप सुख देते, आप दुःख हरते
हम सब की झोली खुशियों से भरते ....जय देव जय देव

मोदक प्रिये है,  हे चारभुजाधारी
हमको भी प्रिये मानो, हे विघ्नहारी.....जय देव जय देव

माता पिता अब आप ही हमारे
वास करिये घर में. हे एकदंत हमारे. .....जय देव जय देव

अगले बरस जब तक आप आयें
सृमिदी सेहत खूब बढाएं.......जय देव जय देव

प्रणाम करते है हम अज्ञानी
पूजा में कमी हो, क्षमा करना दानी .....जय देव जय देव

जय देव, जय देव , मंगल मूर्ती
सब की करते आप कामना पूर्ती ....जय देव जय देव.
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प्रार्थना इति
सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल/2015

Saturday 19 August 2017

फेसबुकया प्यार



फेसबुकया प्यार
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तृष्णा ने लैपटॉप खोला। स्टार्ट स्विच दबाया तो उसके समक्ष  उसीकी एक मनमोहक अंदाज़ में खींची गयी तस्वीर प्रस्तुत हो गयी। तस्वीर को देख कर उसके मुख पर स्माइली समान एक मुस्कान छितर गयी। एक भरपूर अंगड़ाई लेकर उसने फेसबुक की साइट में लाग इन कर दिया। होम पेज आते ही उसके सामने फेसबुक द्वारा सुझावित पुरानी यादों के स्टेटस थे जो वह शेयर कर सकती थी और कुछ मित्र बनाने के सुझाव भी सामने थे। ' हूँ।  दिलचस्प। ' उसने सोचा और  हर सुझावित पुरुष मित्रों के पटल को जांचने परखने लगी। एक पुरुष मित्र का प्रोफाइल उसको भा गया तो उसने 'मित्र इच्छा ' पर क्लिक कर दिया। 
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तुषार आईफ़ोन पर किसी से लेन देन की बात कर कर रहा था जब उसके फ़ोन पर फेसबुक मैसेज की सूचना प्राप्त हुए । उस समय तो उसने सूचना को अनदेखी कर दिया पर घर पहुँचते ही उसने अपना लैपटॉप खोला , फेसबुक पर गया I तृष्णा के मित्र निवेदन को पा कर उसके पटल पर गया I तृष्णा की मनमोहक तस्वीर देखी , पर उसके बारे में अधिक जानकारी ना पा कर भी उसने उसके मित्र निवेदन को स्वीकार कर लिया।
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फेसबुक ने दुनिया की आधी आबादी को इतना नज़दीक ला कर खड़ा कर दिया कि किसी से भी सम्पर्क साध लीजिये और जान पहचान बना लीजिये।  तुषार और तृष्णा को केवल एक हफ्ता लगा उस मंजिल को पाने में जिसे पाने में पहले महीने -साल लग जाते  थे I अब फेसबुक चट बोल पट खोल के फंडे को साकार करता दिखाई देता है। दोनों एक दुसरे के बारे में जानने को  उत्सुक थे। एक महीना भी नहीं बीता कि अजनबी से मित्र, प्रिय मित्र, आप , तुम फिर हम  बनते देर नहीं लगी। पहले हाय -हेलो , फिर हाल-चाल , फिर एक दूसरे के शौक- वोक ,फिर घरबार - आमदनी फिर अता -पता और अंत में मुलाक़ात का वादा। यही तो है फेसबुकया प्यार।
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"यस !" तुषार बहुत प्रसन्न था और बियर की बोतल ले कर चुस्कियां लेने लगा।
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" यस !" तृष्णा को मानो मन मुताबिक वस्तु मिल गयी हो।  उसने शॉपिंग माल जाने का इरादा कर लिया।
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फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक जैसे दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे। तृष्णा  दिल्ली से थी और तुषार मुंबई से। दोनों ने पहली बार आपस में मिलने को तय किया। तृष्णा मुंबई नहीं आना चाहती थी , तुषार दिल्ली नहीं जाना चाहता था। किस डर से वह डर रहे थे वह वही दोनों ही अपने अपने दिलों में जानते थे। तुषार ने पूना में तो तृष्णा ने जयपुर में मिलने के लिए कहा। नारी में यकीनन एक ऐसा आकर्षण होता है कि नर उसे मना करने से हमेशा हिचकिचाता रहता है। तुषार ने बहुत सोचने समझने के उपरांत तृष्णा से जयपुर में मिलने की हामी भरी। हामी भरते ही तुषार ने अमेज़ॉन से कुछ वस्तुओं का अर्जेंट ऑर्डर दे दिया।
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जयपुर के एक होटल में दोनों दिल खोल कर मिले मानो सदियों से एक दुसरे  को जानते हों। पूरा दिन जयपुर घूमने के बाद उन्होंने पूरी रात  एक दुसरे के साथ बितायी। दुसरे दिन  सुबह दोनों बहुत खुश नज़र आ रहे थे मानो कारूं का खज़ाना हाथ लग गया हो। १२ बजे  चेक आउट के समय दोनों ने फिर मिलने के वादे के साथ  अपने अपने शहर की राह ली।
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तृष्णा ने अपना लैपटॉप खोला। तुषार का मैसेज था। मैसेज पढ़ कर वह सन्न रह गयी।  तीन एक विडिओ भी थे।  सभी उन अंतरंग क्षणों के थे जो उसने तुषार के संग जयपुर में गुज़ारे थे। उसे विश्वास नहीं हुआ। पूरे २५ लाख रूपये की मांग तुषार के संदेश में इस धमकी के साथ थी के अगर तृष्णा उसकी मांग पूरी नहीं करेगी तो विडिओ सार्वजानिक हो जाएंगे।  कुछ देर तो उसे विश्वास नहीं हुआ पर फिर वह बेतहाशा हंसने लगी।
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तुषार ने अपना लैपटॉप खोला। तृष्णा  का मैसेज था। मैसेज पढ़ कर वह सन्न रह गया ।  तीन एक विडिओ भी थे।  सभी उन अंतरंग क्षणों के थे जो उसने तृष्णा  के संग जयपुर में गुज़ारे थे। उसे विश्वास नहीं हुआ। पूरे ५ लाख रूपये की मांग तृष्णा  के संदेश में इस धमकी के साथ थी के अगर तुषार उसकी मांग पूरी नहीं करेगा तो विडिओ सार्वजानिक हो जाएंगे।  कुछ देर तो उसे विश्वास नहीं हुआ पर फिर वह बेतहाशा हंसने लगा।
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प्यार की परिभाषा फेसबुक ने अब बदल कर रख दी थी ।
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
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Trauma in "How To Prevent Rape and Molestation"


Year 2009. It was a contest for selection of poems to be included in a book authored by Late Dr. Aroona Reejsinghani. The contest was conducted by Authors Association of India (Redg.Trust), Mumbai  founded by producer/ writer/director late Kwaja Ahmad Abbas and headed by late Dr. Aroona Reejsinghani, its Chairperson. Two representative poems on the subject were selected out of fifty odd poems and one of the poems was mine. The book was ‘ How To Prevent Rape and Molestation’. The subject was relevant then as it is relevant now. I am reposting my poem here after a long time for those of my friends who have not read it earlier. Thanks. Happy reading.


Trauma

She wakes up
Trembling, frightened, pale faced and humiliated
Day and night
When humans become inhumane
And  shame has no place to hide.

Hunted before the crowds
Molested behind the bushes
Raped in the moving cars
Relatives, friends, goons, terrorists or
By political czars.

Mentally mauled, physically abused
Everyone looks on but never rescued
Nightmarish moments never out of sight
Living dead or deadly living
Soul and body always in fright.

Tender age matters to none
Everything she dreams, is undone
In a flash, everyone jumps in
To encash
Her innocence, her trauma, her conscience
For five minutes of fame
Putting even THE GOD in shame.
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All rights reserved/Tribhawan Kaul

Thursday 17 August 2017

दोहा/दोहे -20

फूलन संग शूल भयो, जीवन संगी काल 
तथ्य समझ जो आ गयो, जी बिन माया जाल। 
Foolan sng shool bhyo, jeevn sangi kaal
Tathy smjh jo aa gayo, jee bin maaya jaal.
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Wednesday 16 August 2017

देश की कसम



देश की कसम
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देश की कसम
है यही रस्म
खदेड़ शत्रु को
या करो भस्म। 

तिरंगे की शान हो
तिरंगे का मान हो
रखे जो बद नज़र
बचे ना वह,ज्ञान हो।  

पथ्थरबाज़ों की दुकान
आतंक की ख़ूनी खान
कर दो नेस्तनाबूद
भारत अपना जी -जहान। 

सलामती की चाह हो
शहादत बस राह हो
सिखा गद्दारों को सबक़
बस देश की परवाह हो। 

विरोध करेंगे घोर भी
बुद्धिजीवी शोर भी
बिके हुए हैं कुछ यहाँ
निपटेंगे यह दौर भी। 

पाक हो या चीन हो
काल जो संगीन हो
भारती का तेज ऐसा
दुश्मन भी दीन हो।

भारत कहो या हिन्दुस्तान
दिल हमारा, अपनी  जान
देश भक्ति धर्म अपना
कोई मज़हब और मान। 

जय भारत, हिन्दुस्तान
देश  रक्षा, दे बलिदान
जीवन का  लक्ष्य महान
जय भारतहिन्दुस्तान
जय भारतहिन्दुस्तान
जय भारतहिन्दुस्तान
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Saturday 12 August 2017

वर्ण पिरामिड /जसाला पिरामिड लेखन, एक स्पष्टीकरण



वर्ण पिरामिड /जसाला पिरामिड लेखन, एक स्पष्टीकरण
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हिंदी साहित्य को समृद्ध कर रहे फेसबुक  के पटलों ,जसाला वर्ण पिरामिड पर साप्ताहिक वर्ण पिरामिड आयोजनों पर या युवा उत्कर्ष साहित्यक मंच पर  हर बुधवार को मंच द्वारा आयोजित काव्य समारोह '"नवल काव्य आयोजन" समस्त नव विधाएँ यथा हाइकु/ताका/चोका/सेदोका/पिरामिड/डमरू/आदि के साथ छंदमुक्त एवम नव कविता/क्षणिकाएं " में मुझको , एक निर्णायक के तौर पर , विभिन्न विधाओं  पर रचनाएँ पड़ने को मिलती हैं। उनमे एक विधा ' जसाला पिरामिड /वर्ण पिरामिड भी है। इनमे  छंदमुक्त एवम नव कविता/क्षणिकाएं जैसी विधाओं को छोड़ दिया जाए तो बाकि सभी विधाएँ अपनी  सीमाबद्ध वार्णिक छंदों में और सीमाबद्ध  पंक्तियों में लिखी जाती हैं।  पर शब्द मितव्ययता द्वारा एक विषय का सम्पूर्ण  चित्रात्मक प्रस्तुति और बिम्बात्मकता का सम्प्रेषण होना हर विधा में बहुत आवश्यक है। कभी कभी इस विशेषता को पिरामिड के रचनाकार नज़रअंदाज़ कर देते हैं और सीधा साधे सपाट रूप में एक वाक्य को ही टुकड़ों में बाँट कर पिरामिड की रचना कर देते हैं। कुछ उदहारण निम्नलिखित हैं।  (रचनाकारों के नाम में उजागर नहीं करना चाहता हूँ )

भू                                            
शिव
शंकर
नीलकंठ
तू आशुतोष
पी तू हलाहल
हो तांडव संहार
-------------------- विषय भगवान  शिव हैं या श्रवण मास में शिव की आराधना। पिरामिड में वह बिम्ब नहीं उभर पाया है जो होना चाहिए। शिव,शंकर, नीलकंठ, तू आशुतोष :-नामो से पिरामिड तो बहुत बनाये जा सकते हैं। नीलकंठ और तू पी हालाहल दोनों एक ही रूप दिखलातें है।

तू
प्यासी
निहारे
आसमान
आया सावन
घटा घनघोर
बरसा चारो ओर
---------------- आया सावन, घटा घनघोर,  बरसा चारो ओर :- बहुत ही सीधी  सपाट बयानी है।  ऐसा लगता है कि वाक्य को टुकड़ों में लिखा गया है।

ये
वर्षा
सावन
रिमझिम
भीगे अभीगे
हरित सलोने
वसुंधरा नगीने ।
----------------- वर्षा, सावन, रिमझिम तीनो ही एक ही बिम्ब को दर्शा रहें हैं। पिरामिड लेखन में हर शब्द अगल अलग बिम्बों को दर्शन चाहिए।

जसाला वर्ण पिरामिड एक भिन्न प्रकार की विधा है जिसमे अपना एक विधि-विधान है। यथा :-

था
क्षेत्र
त्रिकर्मा
अहिंसक
आवभगत
चिंतन मनन
जय कश्मीरियत          
------------------त्रिभवन कौल

१)  यह  केवल सात पंक्तियों की रचना है।

२)  यह वर्णो की गणना पर आधारित वार्णिक रचना है। 

३ )  पहली पंक्ति में एक वर्ण, दूसरी पंक्ति में दो वर्ण , तीसरी पंक्ति में तीन वर्ण , चौथी पंक्ति में चार वर्ण , पांचवी पंक्ति में पांच वर्ण  , छट्टी पंक्ति में छै वर्ण और सातवीं पंक्ति में सात वर्णो की गणना होना आवश्यक है I वर्ण से मतलब पूर्ण वर्ण से है। वर्ण पिरामिड में अर्ध वर्ण की गणना नहीं की जाती। 

४)  संयुक्त अक्षर को एक वर्ण के अंतर्गत लिया जाता है।  जैसे 'अन्दर ' में 'अ ' न्द' और 'र ' में केवल तीन वर्ण ही गिने जाएंगे ना की चार।  या उपरोक्त उदाहरण में 'स्वर्ग ' में दो ही वर्णो की गणना की जाएगी।  'स्व , र्ग ' I

५) यह भाग पिरामिड रचना में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस विधा के बारे में कुछ आवश्यक जानकारी  उन रचनाकारों /पाठकों के लिए देना, मैं , आवश्यक समझता हूँ जिन्होंने वर्ण पिरामिड को हाल में ही इस विधा को अपनी काव्य प्रस्तुति का एक अंग बनाया है या वह पिरामिड रचनाकार जो पिरामिड रचना को एक बहुत ही आसान विधा समझ कर हलके में ले कर विषय से जुड़े चंद  वाक्यों की प्रस्तुति को सटीक और सार्थक पिरामिड मान लेते हैं।  वर्ण पिरामिड किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है पर प्रस्तुति या कथन सीधी -सपाट होने की स्थान पर पाठक के ज्ञान को और प्रस्तुत बिम्ब को समझने की एक चुनौती देती प्रतीत होनी चाहिए ठीक वैसे ही जैसे कि एक हाइकू में या शेनर्यू  होता है।  गागर में सागर I वर्ण पिरामिड में एक  शब्दानुकूल  या शीर्षकानुकूल  प्रस्तुति द्वारा पिरामिडकार की   विचारशीलता   एवं  गहन भाव प्रस्तुत करने की  क्षमता परखी  जाती है।  हर वर्ण पिरामिड शब्द प्रतीकों और बिम्बों द्वारा एक अनुपम दृश्य चित्रण करता है कि पाठक अनायास ही वाह वाह कह उठे।  वर्ण पिरामिड में प्रस्तुत बिम्ब पिरामिडकार के उन विचारों को प्रतिबिम्बित करता है जो प्रकृति , सामजिक , राजनीतिक , आर्थिक , घरेलू जीवन की अवस्थाओं से जुड़े हैं।  जिनसे हम पाठकों को रोज़ाना दो चार होना पड़ता है। यथा :-
{कृपया नोट करें यह नियम सभी  वार्णिक छदों में (हाइकु/ताका/चोका/सेदोका/पिरामिड/डमरू ) लागू होता है। }


दो
जोंक
सन्तति/सहन्ति
घरघाली
अमरबेल
दहेज दुष्कर्मी
घाती संघ उन्नति ।.............विभारानी श्रीवास्तव

{रचित वर्ण पिरामिड में दहेज़ लोभियों को समाज व राष्ट्र के लिए घातक एवं उन्नति अवरोधक बताते हुए वर्ण पिरामिड लेखन की सार्थकता तथा दक्षता का जीवट परिचय दिया है। साथ ही अनुप्रासालंकार का बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत किया है }##

हैं
हम
सहिष्णु
नागरिक
हितों के द्वंद्व
राजनीति संग
बनायें असहिष्णु ।............. शेख़ शहज़ाद उस्मानी

{जहाँ मानवीयता के सुदृढ़ स्तम्भ सहिष्णुता पर हावी होती राजनीति के दुष्प्रभाव का आँकलन करते है, तो वहीं संकीर्ण होते मनोभावों का बिम्ब पेश करते हुए अपने व्यथित मन की पीड़ा का बोध कराते हैं ,,वास्तव में यह एक कवि हृदय की सजगता का प्रतीक है।}##

## पिरामिड व्याख्या jasala vrn pyramid ke jnk श्री सुरेश पाल वर्मा 'जसाला ' जी के द्वारा के गयी हैं।

6) सात पंक्तियों के इस पिरामिड में किन्हीं दो , तीन, या चार या सारी पंक्तियों एक अंत  में तुकांत मिल जाए तो पिरामिड रचना काव्य सौंदर्य का अनूठा बोध हो जाता है। पिरामिड प्रस्तुति में यदि गेयता का आभास हो तो सोने पर सुहागा। यथा :-

ये
शूल
बबूल
दंभ मूल
विषाक्त चूल
निकृष्ट उसूल
चीर-चीर दुकूल I............... सुरेश पाल वर्मा 'जसाला '

मेरा मानना है वर्ण पिरामिड सात पंक्तियों की एक ऐसी रचना है जिसमे हर पंक्ति अलग होते हुए भी विषय वस्तु से जुड़े हुए तो  लगते हैं पर हर पंक्ति विषय वस्तु के  भिन्न भिन्न तथा  नवीन दृष्य उत्पन करने में सक्षम हों।  प्रथम तीन पंक्तियाँ अगर विषय वस्तु की और इंगित करें , अगली दो पंक्तियाँ  पहली तीन पंक्तियों से जुडी रहने के उपरांत भी एक नया बिम्ब प्रस्तुत करे और अंतिम दो पंक्तियाँ अस्कमात ही विषय की ऐसे समीक्षा प्रस्तुत करे कि उस पाठक के सामने वर्ण पिरामिड का एक ऐसा प्रतिबिम्ब प्रस्तुत हो की जो संपूर्ण रूप से एक कहन को , एक विचार को , अनुभव को सटीक शब्दावली द्वारा  पाठकों को सम्प्रेषित कर सके। शब्दों का चुनाव ऐसा हो के वह एक विषय को चित्रात्मकता का रूप धारण कर पाठक के सामने विषय /शीर्षक को सम्पूर्ण रूप में दक्ष चित्रकार के समान एक बिम्ब /चित्र कविता के कैनवास पर प्रस्तुत कर सकें। पाठक वाह वाह कर उठे। एक बात मैं यहाँ कहना आवश्यक समझता हूँ की यद्दीपी पिरामिडकार हमारे समक्ष शीर्षक के द्वारा अपने विषय  को प्रस्तुत करता है , यह पाठकों की अपनी सोच, ज्ञान और विवेक पर निर्भर है वह पिरामिड रचना का विवेचन या व्याख्या किस प्रकार से करता है।  विषय वस्तु/ शीर्षक  एक ही है पर हर पाठक का रचना के भाव को , बिम्ब को , उसके दृष्टान्त को परखने का कल्पनाजनित आधार अलग अलग होता है।   
यहाँ  मैं यह भी स्पष्ट कर दूँ कि थकाऊ और कठिन शब्दों से अधिकतर परहेज़ ही करना चाहिए।  इससे पिरामिड प्रवाह में विघ्न तो पैदा होता ही है साथ ही साधारण पाठक के लिए पिरामिड समझ से परे हो जाता है।  ऐसे पिरामिड केवल अध्धयन कार्यों तक ही सीमित रह सकते हैं सर्वग्राही नहीं।   मुझे आशा है कि पिरामिड रचनाकार  इस  “जसाला वर्ण पिरामिड /वर्ण पिरामिड” के  विधि-विधान  को अपनी पिरामिड रचनाओं में ज़रूर ढालेंगें  और भविष्य में उत्तम से उत्तम पिरामिड या अन्य वर्णिक छंदों की रचनाएँ हमको पढ़ने को मिलेंगी। सादर। 
त्रिभवन कौल
स्वतंत्र लेखक –कवि

12-08-2017