Saturday 12 August 2017

वर्ण पिरामिड /जसाला पिरामिड लेखन, एक स्पष्टीकरण



वर्ण पिरामिड /जसाला पिरामिड लेखन, एक स्पष्टीकरण
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हिंदी साहित्य को समृद्ध कर रहे फेसबुक  के पटलों ,जसाला वर्ण पिरामिड पर साप्ताहिक वर्ण पिरामिड आयोजनों पर या युवा उत्कर्ष साहित्यक मंच पर  हर बुधवार को मंच द्वारा आयोजित काव्य समारोह '"नवल काव्य आयोजन" समस्त नव विधाएँ यथा हाइकु/ताका/चोका/सेदोका/पिरामिड/डमरू/आदि के साथ छंदमुक्त एवम नव कविता/क्षणिकाएं " में मुझको , एक निर्णायक के तौर पर , विभिन्न विधाओं  पर रचनाएँ पड़ने को मिलती हैं। उनमे एक विधा ' जसाला पिरामिड /वर्ण पिरामिड भी है। इनमे  छंदमुक्त एवम नव कविता/क्षणिकाएं जैसी विधाओं को छोड़ दिया जाए तो बाकि सभी विधाएँ अपनी  सीमाबद्ध वार्णिक छंदों में और सीमाबद्ध  पंक्तियों में लिखी जाती हैं।  पर शब्द मितव्ययता द्वारा एक विषय का सम्पूर्ण  चित्रात्मक प्रस्तुति और बिम्बात्मकता का सम्प्रेषण होना हर विधा में बहुत आवश्यक है। कभी कभी इस विशेषता को पिरामिड के रचनाकार नज़रअंदाज़ कर देते हैं और सीधा साधे सपाट रूप में एक वाक्य को ही टुकड़ों में बाँट कर पिरामिड की रचना कर देते हैं। कुछ उदहारण निम्नलिखित हैं।  (रचनाकारों के नाम में उजागर नहीं करना चाहता हूँ )

भू                                            
शिव
शंकर
नीलकंठ
तू आशुतोष
पी तू हलाहल
हो तांडव संहार
-------------------- विषय भगवान  शिव हैं या श्रवण मास में शिव की आराधना। पिरामिड में वह बिम्ब नहीं उभर पाया है जो होना चाहिए। शिव,शंकर, नीलकंठ, तू आशुतोष :-नामो से पिरामिड तो बहुत बनाये जा सकते हैं। नीलकंठ और तू पी हालाहल दोनों एक ही रूप दिखलातें है।

तू
प्यासी
निहारे
आसमान
आया सावन
घटा घनघोर
बरसा चारो ओर
---------------- आया सावन, घटा घनघोर,  बरसा चारो ओर :- बहुत ही सीधी  सपाट बयानी है।  ऐसा लगता है कि वाक्य को टुकड़ों में लिखा गया है।

ये
वर्षा
सावन
रिमझिम
भीगे अभीगे
हरित सलोने
वसुंधरा नगीने ।
----------------- वर्षा, सावन, रिमझिम तीनो ही एक ही बिम्ब को दर्शा रहें हैं। पिरामिड लेखन में हर शब्द अगल अलग बिम्बों को दर्शन चाहिए।

जसाला वर्ण पिरामिड एक भिन्न प्रकार की विधा है जिसमे अपना एक विधि-विधान है। यथा :-

था
क्षेत्र
त्रिकर्मा
अहिंसक
आवभगत
चिंतन मनन
जय कश्मीरियत          
------------------त्रिभवन कौल

१)  यह  केवल सात पंक्तियों की रचना है।

२)  यह वर्णो की गणना पर आधारित वार्णिक रचना है। 

३ )  पहली पंक्ति में एक वर्ण, दूसरी पंक्ति में दो वर्ण , तीसरी पंक्ति में तीन वर्ण , चौथी पंक्ति में चार वर्ण , पांचवी पंक्ति में पांच वर्ण  , छट्टी पंक्ति में छै वर्ण और सातवीं पंक्ति में सात वर्णो की गणना होना आवश्यक है I वर्ण से मतलब पूर्ण वर्ण से है। वर्ण पिरामिड में अर्ध वर्ण की गणना नहीं की जाती। 

४)  संयुक्त अक्षर को एक वर्ण के अंतर्गत लिया जाता है।  जैसे 'अन्दर ' में 'अ ' न्द' और 'र ' में केवल तीन वर्ण ही गिने जाएंगे ना की चार।  या उपरोक्त उदाहरण में 'स्वर्ग ' में दो ही वर्णो की गणना की जाएगी।  'स्व , र्ग ' I

५) यह भाग पिरामिड रचना में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस विधा के बारे में कुछ आवश्यक जानकारी  उन रचनाकारों /पाठकों के लिए देना, मैं , आवश्यक समझता हूँ जिन्होंने वर्ण पिरामिड को हाल में ही इस विधा को अपनी काव्य प्रस्तुति का एक अंग बनाया है या वह पिरामिड रचनाकार जो पिरामिड रचना को एक बहुत ही आसान विधा समझ कर हलके में ले कर विषय से जुड़े चंद  वाक्यों की प्रस्तुति को सटीक और सार्थक पिरामिड मान लेते हैं।  वर्ण पिरामिड किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है पर प्रस्तुति या कथन सीधी -सपाट होने की स्थान पर पाठक के ज्ञान को और प्रस्तुत बिम्ब को समझने की एक चुनौती देती प्रतीत होनी चाहिए ठीक वैसे ही जैसे कि एक हाइकू में या शेनर्यू  होता है।  गागर में सागर I वर्ण पिरामिड में एक  शब्दानुकूल  या शीर्षकानुकूल  प्रस्तुति द्वारा पिरामिडकार की   विचारशीलता   एवं  गहन भाव प्रस्तुत करने की  क्षमता परखी  जाती है।  हर वर्ण पिरामिड शब्द प्रतीकों और बिम्बों द्वारा एक अनुपम दृश्य चित्रण करता है कि पाठक अनायास ही वाह वाह कह उठे।  वर्ण पिरामिड में प्रस्तुत बिम्ब पिरामिडकार के उन विचारों को प्रतिबिम्बित करता है जो प्रकृति , सामजिक , राजनीतिक , आर्थिक , घरेलू जीवन की अवस्थाओं से जुड़े हैं।  जिनसे हम पाठकों को रोज़ाना दो चार होना पड़ता है। यथा :-
{कृपया नोट करें यह नियम सभी  वार्णिक छदों में (हाइकु/ताका/चोका/सेदोका/पिरामिड/डमरू ) लागू होता है। }


दो
जोंक
सन्तति/सहन्ति
घरघाली
अमरबेल
दहेज दुष्कर्मी
घाती संघ उन्नति ।.............विभारानी श्रीवास्तव

{रचित वर्ण पिरामिड में दहेज़ लोभियों को समाज व राष्ट्र के लिए घातक एवं उन्नति अवरोधक बताते हुए वर्ण पिरामिड लेखन की सार्थकता तथा दक्षता का जीवट परिचय दिया है। साथ ही अनुप्रासालंकार का बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत किया है }##

हैं
हम
सहिष्णु
नागरिक
हितों के द्वंद्व
राजनीति संग
बनायें असहिष्णु ।............. शेख़ शहज़ाद उस्मानी

{जहाँ मानवीयता के सुदृढ़ स्तम्भ सहिष्णुता पर हावी होती राजनीति के दुष्प्रभाव का आँकलन करते है, तो वहीं संकीर्ण होते मनोभावों का बिम्ब पेश करते हुए अपने व्यथित मन की पीड़ा का बोध कराते हैं ,,वास्तव में यह एक कवि हृदय की सजगता का प्रतीक है।}##

## पिरामिड व्याख्या jasala vrn pyramid ke jnk श्री सुरेश पाल वर्मा 'जसाला ' जी के द्वारा के गयी हैं।

6) सात पंक्तियों के इस पिरामिड में किन्हीं दो , तीन, या चार या सारी पंक्तियों एक अंत  में तुकांत मिल जाए तो पिरामिड रचना काव्य सौंदर्य का अनूठा बोध हो जाता है। पिरामिड प्रस्तुति में यदि गेयता का आभास हो तो सोने पर सुहागा। यथा :-

ये
शूल
बबूल
दंभ मूल
विषाक्त चूल
निकृष्ट उसूल
चीर-चीर दुकूल I............... सुरेश पाल वर्मा 'जसाला '

मेरा मानना है वर्ण पिरामिड सात पंक्तियों की एक ऐसी रचना है जिसमे हर पंक्ति अलग होते हुए भी विषय वस्तु से जुड़े हुए तो  लगते हैं पर हर पंक्ति विषय वस्तु के  भिन्न भिन्न तथा  नवीन दृष्य उत्पन करने में सक्षम हों।  प्रथम तीन पंक्तियाँ अगर विषय वस्तु की और इंगित करें , अगली दो पंक्तियाँ  पहली तीन पंक्तियों से जुडी रहने के उपरांत भी एक नया बिम्ब प्रस्तुत करे और अंतिम दो पंक्तियाँ अस्कमात ही विषय की ऐसे समीक्षा प्रस्तुत करे कि उस पाठक के सामने वर्ण पिरामिड का एक ऐसा प्रतिबिम्ब प्रस्तुत हो की जो संपूर्ण रूप से एक कहन को , एक विचार को , अनुभव को सटीक शब्दावली द्वारा  पाठकों को सम्प्रेषित कर सके। शब्दों का चुनाव ऐसा हो के वह एक विषय को चित्रात्मकता का रूप धारण कर पाठक के सामने विषय /शीर्षक को सम्पूर्ण रूप में दक्ष चित्रकार के समान एक बिम्ब /चित्र कविता के कैनवास पर प्रस्तुत कर सकें। पाठक वाह वाह कर उठे। एक बात मैं यहाँ कहना आवश्यक समझता हूँ की यद्दीपी पिरामिडकार हमारे समक्ष शीर्षक के द्वारा अपने विषय  को प्रस्तुत करता है , यह पाठकों की अपनी सोच, ज्ञान और विवेक पर निर्भर है वह पिरामिड रचना का विवेचन या व्याख्या किस प्रकार से करता है।  विषय वस्तु/ शीर्षक  एक ही है पर हर पाठक का रचना के भाव को , बिम्ब को , उसके दृष्टान्त को परखने का कल्पनाजनित आधार अलग अलग होता है।   
यहाँ  मैं यह भी स्पष्ट कर दूँ कि थकाऊ और कठिन शब्दों से अधिकतर परहेज़ ही करना चाहिए।  इससे पिरामिड प्रवाह में विघ्न तो पैदा होता ही है साथ ही साधारण पाठक के लिए पिरामिड समझ से परे हो जाता है।  ऐसे पिरामिड केवल अध्धयन कार्यों तक ही सीमित रह सकते हैं सर्वग्राही नहीं।   मुझे आशा है कि पिरामिड रचनाकार  इस  “जसाला वर्ण पिरामिड /वर्ण पिरामिड” के  विधि-विधान  को अपनी पिरामिड रचनाओं में ज़रूर ढालेंगें  और भविष्य में उत्तम से उत्तम पिरामिड या अन्य वर्णिक छंदों की रचनाएँ हमको पढ़ने को मिलेंगी। सादर। 
त्रिभवन कौल
स्वतंत्र लेखक –कवि

12-08-2017

4 comments:

  1. All comments via fb/ जसाला वर्ण पिरामिड
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    Mani Ben Dwivedi
    जी बहुत ही सुन्दर और सटीक जानकारी। नमन सर। 🙏🙏🙏🙏
    August 13 at 11:55am
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    रतन राठौड़
    बेहद उम्दा, ज्ञानवर्धक जानकारी एवं विश्लेषण। सादर आभार आपका
    August 13 at 12:53pm
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    Savi Kumar
    बहुत सटीक जानकारी आदरणीय।
    सादर नमन
    August 13 at 1:22pm
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    Raj Kumar Vishwakarma
    Very nice post
    August 13 at 1:43pm
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    Shashi Tyagi
    जी, बहुत स्पष्ट रूप पिरामिड का रखा आपने।
    August 13 at 3:25pm
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    Reeta Grover
    जानकारी के लिए अति धन्यवाद। प्रयास तो ईमानदारी से करेंगे पर मार्ग दर्शन फिर भीअपेक्षित रहे गा।सादर ।
    August 13 at 3:49pm
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    Deo Narain Sharma
    बहुत सुन्दर सटीक और उपयोगी जानकारी प्रस्तुत की गई है। सरल और सर्वग्राह्य शब्दों का प्रयोग पिरामिड के सौन्दर्य में निखार लाने में सक्षम.होता.है।नये शब्द जिनका निर्माण शब्दकोश में.नही.हुआ.है प्रयोग नही करना चाहिए।
    August 13 at 4:58pm
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    Neeta Agarwal
    बहुत सटीक जानकारी आदरणीय।
    सादर नमन
    August 13 at 5:18pm
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    Chanchala Inchulkar Soni
    सार्थक आलेख
    August 13 at 6:01pm
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  2. All comments via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
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    Deo Narain Sharma
    बहुत सुन्दर और उपयोगी जानकारी।काव्य की हर विधा में भाव ही केन्द्र बिन्दु है।
    बहुत हौसुन्दर सृजन और भावाभिव्यक्ति
    August 13 at 12:16pm
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    ओम प्रकाश शुक्ल
    वाह, अद्भुत विश्लेषण, ज्ञानवर्धक
    August 13 at 12:48pm
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    Raj Kishor Pandey
    वाह बहुत सुंदर जानकारी आदरणीय
    August 13 at 12:54pm
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    Ramkishore Upadhyay
    पिरामिड विधा का सम्यक विवेचन जो रचनाकारों का मार्गदर्शन करेगा ।। आभार आदरणीय
    August 13 at 1:02pm
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    Vishal Narayan
    ज्ञानवर्द्धक जानकारी आदरणीय
    August 13 at 1:37pm
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    डॉ. पुष्पा जोशी
    वाह! उपयोगी जानकारी
    August 13 at 2:20pm
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    Ravi Sharma
    वाह, अद्भुत विश्लेषण, ज्ञानवर्धक, सादर नमन, धन्यवाद
    August 13 at 3:37pm
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    Kviytri Pramila Pandey
    वाहहहहह अतिसुंदर पिरामिड सृजन का सम्यक ज्ञान
    हार्दिक बधाई आदरणीय
    August 13 at 4:42pm
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  3. All comments via fb/ जसाला वर्ण पिरामिड
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    Sheikh Shahzad Usmani
    बेहतरीन मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब।
    August 13 at 8:20pm
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    Vibha Rani Shrivastava
    नमन आपको 🙏💐
    August 13 at 8:53pm
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    Amrata Mandloi Pota
    उपयोगी मार्गदर्शन आदरणीय
    सादर नमन🙏🙏
    August 13 at 10:41pm
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    Suresh Pal Verma Jasala
    वाह आदरणीय बहुत विश्लेषण,, सुन्दर मार्गदर्शन,,
    हार्दिक अभिनंदन एवं आभार
    August 13 at 11:01pm
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    Rajendra Purohit
    बहुत ही सार्थक पोस्ट। कई मानदंडो में मैं अभी कच्चा हूँ। परिश्रम करूंगा सर। ऐसे जानकारीपूर्ण आलेख लिखते रहें सर।
    August 14 at 10:56pm
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  4. Mahatam Mishra
    अतीव उपयोगी जानकारी प्रदान करने हेतु सादर प्रणाम आदरणीय, ऐसी जानकारियाँ रचनाकार के लिए वरदान साबित होती है और सृजन में मदत मिलती है, हार्दिक आभार सर
    August 14 at 12:16am
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    गुप्ता कुमार सुशील
    उत्तम जानकारी हेतु सादर नमन आदरणीय.🙏
    August 14 at 1:59am
    ---------------------via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

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