Thursday 30 November 2017

Love no more

Love no more
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His hate induces me to love words more
Songs I sing , none for him to adore.

Wandering in the maze of mood swings
Heart seeks inspiration from clouds to sing.

Infidelity in mind, love remains undefined
A thin line of faith, excuses are more refined.

Betraying my trust yet professing his love
Standing at crossroads I can’t be a dove.

Land, moon, stars and waterfalls
Muses are there to make me enthrall.

Waves of pain strike the shore, time and again
Time for me to compose, rewriting my fate again.

Incomplete in love, I search words to express
Poetry makes me exuberant and to address.
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All rights reserved/Tribhawan Kaul

"गाँधी और उनके बाद" :अनुभूतियों के शब्द स्वर



"गाँधी और उनके बाद" :अनुभूतियों के शब्द स्वर
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“प्रसन्नता ही एकमात्र  ऐसा इत्र है जो आप दूसरों पर छिड़कते हैं तो कुछ बूंदे आप पर भी पड़ती हैं।“
महात्मा गांधी
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गाँधी जी के  उपरोक्त उद्धगार अनुज कविवर  ओमप्रकाश शुक्ल जी का प्रथम काव्यसंग्रह "गाँधी और उनके बाद" पर सही और सटीक लागू होती है। वास्तव में उनकी हर एक रचना हृदय और मस्तिष्क को प्रसन्न करने वाले उस इत्र  के समान है जो अपनी सुगंध फैला कर पाठक कोअपने आगोश में ले लेती हैं साथ ही कवि के हिंदी कविता  और साहित्य के प्रति निष्ठाभाव व समर्पण भी दर्शाता है

काव्यांजलि मैं करूँ समर्पित
हे राष्ट्रपिता शत नमन सहित
देना नित हमे मार्ग दर्शन
कर सकें सत्य का अवलोकन

कवि ने आधी कविताओं को गाँधी जी के उन विचारों को समर्पित किया है जो स्वयं गाँधी जी को प्रिय रहें हैं और जिनका उन्होंने अपने जीवन काल में ही खुद पर और दूसरों को अपने कार्य कलापों में शामिल करने को कहा। उन विचारों को इस युग की पीढ़ी माने या ना माने , कवि ओमप्रकाश शुक्ल जी के हृदय में बसी उन विचारों की छवि और मंतव्य  को कवि ने  काव्यमय शब्द चित्रण द्वारा पाठकों के समक्ष रखने का एक सराहनीय प्रयास किया है।

हम राम राज्य साकार करें
स्वदेशी ही निश दिन हिय धरें
गाँधीत्व हरेक ओर पाएँ
उपहार यही देकर जाएँ

उनकी रचनाओं का जब हम आंकलन करते हैं तो उनकी संवेदनशील अनुभूतियों की तरलता और भावुकता से दो चार होते हैं। कवि का मन हताशा से भरा है I जब वह अपने ही देश में फैले अनाचार को, भ्रष्टाचार को , व्यभिचार को , अत्याचार को देखता है।  उनका मन विचलित हो उठता है।  सामजिक, राजनैतिक , आर्थिक और मानसिक खोखलेपन से देश को स्वतंत्र करने के लिए उनके हृदय से गाँधी जी के पुकार निकलती है Iयथा :-
अब धरा आपको पुकार रही
आ जाओ एक बार पुनः
ज्योत जलाकर हृदय की
फिर से जन आधार बनो

 कवि जीवन के अधूरेपन को कुछ यूँ बयां करते हैं :-

जिंदगी सत्य की डगर पर है
पर भरोसा कहाँ शहर पर है
भाव मिलते नही ग़ज़ल मे अब
ध्यान बस काफिया बहर पर है
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कवि अपने  पूज्य पिताजी को समर्पित यह पंक्तियाँ एक मार्मिक बिम्ब हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं जहाँ एक पिता अपने बच्चे को बड़ा होता देख अपने पिता को स्मरण करता हैं।  इस कविता में कथ्य से अधिक भाव की प्रधानता को स्वतः ही महसूस किया जा सकता है। यथा :-
स्मृतियाँ कब भूले भूलती हैं
याद आपकी नित्य ही
आ जाती है
आज जबकी
पुत्र को बड़ा होते निहारता हूँ
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 पर्यावरण के रक्षा हेतु कवि ओमप्रकाश शुक्ल की कलम से यह प्रार्थना जब निकलती है तो वह एक सरोकारी कवि के रूप में हमारे समक्ष प्रकट होते हैं। यथा :-

गिनती भी कर लो कभी, कितने काटे वृक्ष
बचपन से ले आज तक, प्रश्न बना यह यक्ष
प्रश्न बना यह यक्ष, लगाये कितने अब तक
अब भी चेतो मित्र, छोड़ दो क्या था कल तक
करो वृक्ष ही भेंट, मान लो इतनी विनती
फैलाओ तादात, छोड़ दो करनी गिनती
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ओम जी ने केवल अपने अन्दर छिपे काव्य प्रतिभा को ही शब्दों में ही नहीं साकार किया है अपितु एक कुशल कवि और साहित्यकार  होने की प्रतिभा की झलक भी दिखलाई हैं। कुंडलियां , सवैया , हाइकू , डमरू, नवगीत , दोहे , वर्ण पिरामिड,माहिया , घनाक्षरी , आल्हा , गीत , गीतिका , मुक्तक आदि  विविध विधाओं में रचित  रचनाओं को पढ़ कर एक कुशल और पारंगत कवि को पाते हैं जो हृदयात्मक विचारों को बौद्धिक रूप और हर काव्य रस  में ढाल कर एक विचारणीय काव्य की प्रस्तुति  हमारे समक्ष रखते हैं। उनकी छंदमय रचनाओं में  भाषा शैली ( अवधी /बृज /खड़ी  बोली ) ,सटीक  शिल्प और गेयता के साथ साथ सार्थक और सूक्ष्म भावों की अभिवयक्ति की पूर्णता है।

सुन अहिरन की चंचल छोरी,
हौं बहु कारो तै घन गोरी, यादव कुल हौं ग्वालिन ओरी
आजु तोह यह कहे देत हौं, छोटो देखि न कर बरजोरी
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मना रे काहें भयो अधीर,
जीवन राह भली कटु भीषण, चाह रही क्यों खीर।।
नेह लगाय रहौ हिय व्याकुल, झरै नैन सों नीर।
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उनकी रचनाएँ समयाकूल हैं और उनके एक निपुण  छंदकार, गीतकार, छंदमुक्त रचनाकार होने का सजीव प्रमाण हैं। रचनाएँ  पढ़ कर ऐसे लगता है जैसे उन्होंने अपने अंतरात्मा के स्वरों का शब्द चित्रण किया हो जिनमे  पाठक गणों की चेतना को झकझोरने का सामर्थ्य होने के साथ साथ अभिभूत करने की शक्ति रखती हैं।

 प्रत्येक रचनाकार का एक ही मंतव्य होता है कि उसकी रचनाएँ पाठकों के हृदय में घर कर जाएँ। इस परिवेश में कवि ओमप्रकाश जी की रचनाएँ आत्मविस्मृत हो कर लिखा ,संवेदनाओं के सागर में डूबा ,  एक ऐसा दस्तावेज है जो अपनी भाषा शैली , शिल्प विधान , गहन चिंतन और मनन और सहज सम्प्रेषिनियता के लिए हिंदी काव्य संसार में जानी जाएगी।

कविवर ओमप्रकाश शुक्ल जी के इस काव्यसंग्रह "गाँधी और उनके बाद" की आशातीत सफलता के लिए मेरी  हार्दिक शुभकामनायें I

त्रिभवन कौल .
स्वतंत्र लेखक –कवि
kaultribhawan@gmail.com
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Wednesday 29 November 2017

वर्ण पिरामिड (59-60)


वर्ण पिरामिड (शीर्षक = स्तब्ध / हैरान / आश्चर्यचकित / विस्मित्त आदि समानार्थी शब्द)
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है
मनु
हैरान
परेशान
गावं -नगर 
प्रदूषण स्तर 
बीमारियों का घर।
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हूँ
दंग
देशज
बिसारती 
कला-संस्कृति
अंधानुकरण 
पाश्चात्य विभीषिका
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Tuesday 28 November 2017

' जगनुओं के बल्ब ' : अनुभूतियों का सत्य




' जगनुओं के बल्ब ' : अनुभूतियों का सत्य
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रूह की फसलों से कटता है
बांटे से कहाँ बंटता है
इश्क है मामूली नहीं
ऐरों-गैरों को कहाँ मिलता है।
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ज्योति आर्या  के काव्य संग्रह ' जगनुओं के बल्ब ' में रचित  अधिकतर रचनाएँ कवियत्री के अनुभूतियों की गहराई द्वारा ज़िंदगी के उस यथार्थ को छूती हुए प्रतीत होती हैं जहाँ पाठक को लगता है कि अपनी रचनाओं के द्वारा रचनाकार ने उनके सामने उन अहसासों के  सत्य को नग्न कर दिया हो  जिनको उसने या तो खुद जिया है या जीते देखा है।  ऐसा लगता है कि  दिलो -दिमाग के झरोखों से जज़्बातों का एक दरिया सा पाठकों के सामने बह रहा है जो उनको उस दरिया में तैरने का आवाह्न कर रहा हो। किसी काव्य संग्रह का यदि दूसरा संस्करण यदि छपता है तो यकीन मानिये रचनाओं में चुंबकीय आकर्षण तो होगा ही।


एक मकान ऐसा था
जिसकी छत से हर वक्त
एक दुआ मेरे नाम की उठती थी……….
उसकी छत छप्पर हो गयी
गावँ सारे शहर
बिक गए रिश्ते घर घर से
यह कैसी तरक्की हो गयी।
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इबादतघरों से भी ज्यादा
शायद अस्पतालों  में रहता है खुदा
इसलिए यहाँ इंसान कम
जिन्दा दुआयें ज्यादा दिखती हैं।
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सिल्प -डिस्क की तडी निकलने की बात हो  या  गुलज़ार साहिब को फ़कीर कहने की इच्छा , भाग्य के लकीरों को न मानने की हौसला या फिर पर्यावरण पर निराकार से गुहार , दादी की यादें या फिर या नम आँखों के किसी को याद करते मोती। सुबह की चाय के साथ किसी के याद आने ख्वाइश हो या इश्क के ऐरे -गैरों को ना मिलने का परामर्श हो।
दुआओं में खुदा नज़र आता है तो कंही रद्दी में पड़ी डायरी में अपूर्ण इच्छायें I हर एक रचना  मानो आकाश में अवतरित होते चाँद की हर कला  के साथ  पाठकों के मन में एक ज्वार सा उत्पन्न कर रही हों।

नाम मेरे ही होंगी तेरे दर्द की विरासतें 
हिस्से मेरे तेरा कुछ तो आया
तू ना आया ना सही
मुबारक तुझे मेरा गम
मुझे तेरे दर्द का साया
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हर कविता एक नए लिबास में हमारे सामने प्रस्तुत होती हैं। लम्बी सी सूची है उन अहसासों की , उन संवेदनाओं की , उन अनुभूतियों की जिनको शब्द दिए है  ज्योति आर्य ने जो अनचाहे ही एक ध्वनि उत्पन करते हुए कवियत्री की अनूठी कृतियों को पाठकों के समक्ष लाती हैं जो कवियत्री की  परिपक्वता को ही नहीं दर्शाती पर उसके  काव्य के प्रति जनूनी समर्पण को भी प्रस्तुत करती हैं।  ' जगनुओं के बल्ब ' हृदय की भावनाओं, गहरी सोच और संवेंदनशीलता की अति सुन्दर प्रस्तुति है I विषय कोई भी हो उनसे अछूता नहीं है। 

काव्य शैली की बात करें तो यह आम काव्य शैली से बिलकुल भिन्न है। बिंदास है, नज़ाकत है, नफासत है। कविताओं को  पढ़ कर नयी कविता का दौर याद आता है।  कवियत्री  ने हर उस परिस्तिथि को निर्वाहित किया है जिनको उसने खुद जिया है ,भोगा है।  अगर मैं यह कहूँ के सभी रचनाएँ सृजनकर्ता से एक अंतरंग संम्बधों की एक काव्यमाला है जो  एक परिस्थिति के दायरे में रह कर उसके हृदय की व्यक्तिगत अभिव्यक्तियों की माला के रूप में हमारे समक्ष आती हैं  जिसे बार बार घुमाने को जी चाहता है तो  शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । सभी रचनाएँ कहीं न कहीं उन मानवीय संवेदनाओं से जुडी लगती हैं जिनको हम हर रोज घटित होते देखते हैं या हमारे साथ गुजरती हैं।

यद्यपि इस काव्य संग्रह का दूसरा संस्करण निकल चुका है जो इसकी लोकप्रियता का मापदंड भी है ,  मैं यही आशा करूंगा कि इसके अनेकों संस्करण निकले और ज्योति आर्या को प्रतिष्ठित कवित्रियों की श्रेणी में खड़ा करे। हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनायें। 
त्रिभवन कौल
स्वतंत्र लेखक-कवि /भारत
इ-मेल :-kaultribhawan@gmail.com
28-11-2017
काव्य संग्रह :- ' जगनुओं के बल्ब '
प्रकाशक :- Authors Press 
मूल्य :- Rs.295/=
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Monday 27 November 2017

सभी मित्रों को समर्पित

सभी मित्रों को समर्पित :-

दोस्त इस काफिले में चंद ऐसे मिले
रखा जो सर , मज़बूत शाने मिले
झंडे , जेवर , ज़मीन पास हो ना हो
ज़मीरों -महोब्बत के मगर पक्के मिले।

त्रिभवन कौल  















मित्रों
26 नवंबर, 2017 को मेरे व्यक्तिगत निमंत्रण पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से प्रकाशित हिंदी मासिक पत्रिका ट्रू मीडिया के नवम्बर अंक ( जो कि आपके इस मित्र के  व्यक्तित्व- कृतित्व पर केन्द्रित विशेषांक है ) में सम्मिलित मित्र लेखक -कवियों की एक काव्य गोष्ठी  युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के तत्वावधान में आयोजित की गयी जिसकी अध्यक्षता  श्री रामकिशोर उपाध्याय जी ने की। इस गोष्ठी के  मुख्य अतिथि श्री सुरेश पाल जसाला जी रहे जबकि  विशिष्ट अतिथि के रूप में  श्री ओमप्रकाश प्रजापति जी  और डॉ.  पवन विजय जी  रहे | इस अवसर पर  सर्व श्री  ए.एस.अली खान जी , दिलदार देहलवी जी, अकेला इलाहाबादी जी ,ओम प्रकाश शुक्ल जी , श्वेताभ पाठक जी , सुश्री लता यादव जी ,डॉ.  इंदिरा शर्मा जी ,डॉ  किरण मिश्रा जी , बेबी गौरी, पर्पल पेन की संस्थापक सुश्री वसुधा कनुप्रिया जी  मौजूद रहे| इस मौके पर सभी साहित्यकारों ने मुझ अकिंचन के बारे में अपने-अपने विचार तो रखें ही अथितियों ने अपने काव्य विचारों का  एक बहु आयामी दृष्टान्त प्रकट किया। सभी ने अपनी बेहतरीन गज़लें और रचनाओं द्वारा एक समां बाँध दिया।  अनुज श्वेताब पाठक ने मंच संचालन प्रभावशाली और अपने अनूठे अंदाज़ में किया। अनुज ओमप्रकाश शुक्ल ने हमेशा के तरह पूरे मन से इस गोष्ठी में अपना पूरा सहयोग दिया। आभार आप सभी मित्रों का।  

मैं, त्रिभवन कौल , हार्दिक आभारी हूँ सभी उन मित्रों का जिन्होंने  कार्यक्रम की अल्प सूचना होते हुए भी अपना समय निकाल कर मुझे भाव-विभोर कर दिया और उन मित्रों का भी जो किसी अपरिहार्य कारणों के कारण इस गोष्ठी में नहीं आ पाए पर जिनकी शुभकामनायें मेरे साथ रहीं। 

ट्रू मीडिया के अशोक कुमार जी का उल्लेख करना नहीं भूलूंगा जिनकी निपुण फोटोग्राफी ने इस कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। हार्दिक धन्यवाद। 

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Saturday 25 November 2017

True Love ( Translated into French )

True Love
( Translated into French )
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Dear friends
This is the 14th poem of mine which has been translated into French by none other than Honourable Athanase Vantchev de Thracy, World President of Poetas del Mundo , undoubtedly one of the greatest poets of contemporary French.
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True Love
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A true love is
Neither lust nor greed nor desire
It is divine building of emotions
Standing tall with
Foundation of trust
Bricks of feeling
Cement of sensitivity
Pillars of grace
A true love flourishes then
Bearing fruit
Ripens
It is evolution
And evolution evolves
Birth of a new creation.
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All rights reserved/Tribhawan Kaul

Le vrai amour

Le vrai amour n’est
Ni luxure, ni concupiscence, ni bas désir –
Il est un édifice divin d'émotions
Qui se dresse bien haut
Avec ses fondations faites de confiance,
Ses briques de sentiments,
Son ciment de sensibilité
Et ses piliers de grâce.
Un tel amour vrai fleurit
Et porte de fruits
Qui prennent le temps de mûrir.
Il est évolution
Et cette évolution implique
La naissance d'une nouvelle création.

            Tribhawan Kaul

Traduit en français par Athanase Vantchev de Thracy
Translated into French by Athanase Vantchev de Thracy
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Born on January 3, 1940, in Haskovo, Bulgaria, the extraordinary polyglot culture studied for seventeen years in some of the most popular universities in Europe, where he gained deep knowledge of world literature and poetry.
Athanase Vantchev de Thracy is the author of 32 collections of poetry (written in classic range and free), where he uses the whole spectrum of prosody: epic, chamber, sonnet, bukoliket, idyll, pastoral, ballads, elegies, rondon, satire, agement, epigramin, etc. epitaph. He has also published a number of monographs and doctoral thesis, The symbolism of light in the poetry of Paul Verlaine's. In Bulgarian, he wrote a study of epicurean Petroni writer, surnamed elegantiaru Petronius Arbiter, the favorite of Emperor Nero, author of the classic novel Satirikoni, and a study in Russian titled Poetics and metaphysics in the work of Dostoyevsky.

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Tuesday 21 November 2017

चतुर्थ अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव -2017


 मित्रों।  नमस्कार।  दिनांक 19  नवंबर 2017   को युवा उत्कर्ष साहित्यक मंच के तत्वाधान में हुए चतुर्थ  अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव -2017  का एक सफलतम  आयोजन दिल्ली में रेलवे क्लब में हुआ। के सफल आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि दृढ संक्लप, निष्ठा एवं अथक कोशिश आपके उद्देश्यपूर्ती में कितनी सहायक हो सकती है.

इस भव्य आयोजन में  मुझको  ट्रू मीडिया द्वारा ' साहित्य गौरव सम्मान -2017  प्रधान किया गया। 

ट्रू मीडिया नवम्बर- 2017 अंक जो मेरे व्यक्तित्व-कृतित्व पर केन्द्रित विशेषांक है उसका लोकार्पण डॉक्टर इंदु,शेखर 'तत्पुरुष'( अध्यक्ष-राजस्थानी साहित्य अकादमी), जितेंद्र निर्मोही (राजस्थान कोटा), युवा उत्कर्ष मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय जी, मशहूर शायर श्री मंगल नसीम जी , सुप्रभात सुप्रभात मंच के अध्यक्ष सुरेश पाल जसाला जी, डॉ अशोक मैत्रेय जी,वरिष्ठ  साहित्यकार डॉ रमा द्विवेदी जी , वरिष्ठ  साहित्यकार डी.पी.चतुर्वेदी जी, डॉ. रामकुमार चुतर्वेदी जी,  डॉक्टर हरिसुमन बिष्ट जी, डॉ.देवनारायण शर्मा जी, डॉ. पुष्पा जोशी ट्रू मीडिया ग्रुप चेयरमैन ओमप्रकाश प्रजापति जी के द्वारा और सभागार में निमंत्रित सम्मानीय अथितिगणो की उपस्थिति में हुआ। 

कौण्डिल्य साहित्यिक संस्था सुल्तान पुर, उत्तर प्रदेश द्वारा भी मुझे हिंदी सेवा हेतु सम्मानित किया गया। मैं हृदयतल से ट्रू मीडिया के संस्थापक -संपादक आदरणीय ओमप्रकाश प्रजापति जी का और कौण्डिल्य साहित्यिक संस्था सुल्तान पुर, उत्तर प्रदेश का हार्दिक आभारी हूँ।

इस अवसर पर युवा उत्कर्ष साहित्यक मंच के महासचिव अनुज ओमप्रकश शुक्ल जी के प्रथम काव्यसंग्रह ' गाँधी और उनके बाद ' और 'उत्कर्ष स्मारिका ' का भी विमोचन किया गया।  

इस महाकुम्भ के सफल आयोजन के लिए इस मंच से जुड़े सभी पदाधिकारिओं को, सम्मिलित हुए अथितियों का और सभी साहित्यक मनीषियों का, दूर दराज़ से आये कविजनो का  ह्रदयतल से धन्यवाद और आभार। 

मित्रों साहित्यक क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों में हमेशा मुझको आपके  स्नेह और समर्थन ने सम्बल प्रधान किया है। इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ और रहूँगा। सप्रेम।  त्रिभवन कौल  

प्रस्तुत हैं इस समारोह से जुड़े कुछ छाया चित्र।
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Friday 17 November 2017

वार्षिक उत्सव में सम्मानित




AND

ओम प्रकाश शुक्ल to युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (न्यास)
10 hrs · /16-11-2017
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के निम्न लिखित सहयोगी कौण्डिल्य साहित्यिक संस्था सुल्तान पुर, उत्तर प्रदेश द्वारा दिनांक 19 नवम्बर 2017 को मंच के वार्षिक उत्सव में सम्मानित किए जा रहे हैं।
सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ----
1- राम किशोर उपाध्याय (दिल्ली)
2- सुरेश पाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
3- मीरा सलभ (गाज़ियाबाद)
4- डॉ सविता सौरभ (बनारस)
5- श्वेताभ पाठक (गाज़ियाबाद)
6- प्रामिला पाण्डेय (कानपुर)
7- अर्चना शर्मा (गाज़ियाबाद)
8- वन्दना मोदी गोयल (फरीदाबाद)
9- विवेक शर्मा आस्तिक (गुरुग्राम)
10- डा. ऒम प्रकाश प्रजापति (दिल्ली)
11- प्रो. विश्वम्भर शुक्ल (लखनऊ)
12- लता यादव (गुरुग्राम)
13- स्यामल सिन्हा (गुरुग्राम)
14- त्रिभवन कौल (मुम्बई)
15- नीरजा मेहता (गाज़ियाबाद)
16- अश्वनि कुमार (चंडीगढ़)
17- डा. दमयंति शर्मा (गाजियाबाद)
18- शान्तिकुमार स्याल (नोयेडा)
19- डा. अतिराज सिंह (मुम्बई)
20- ओम प्रकाश शुक्ल (दिल्ली)
----- डा. देव नरायण शर्मा


Tuesday 14 November 2017

E-mag True Media

प्रिय मित्रों I मेरे व्यक्तित्व -कृतित्व पर आधारित इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स एवं ग्लोबल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स से सम्मानित,राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से प्रकाशित हिंदी मासिक पत्रिका "ट्रू मीडिया" - नवम्बर 2017 का अंक अब ई- पत्रिका ट्रू मीडिया के द्वारा निम्नलिखित कड़ी पर भी उपलब्ध है।  बस क्लिक कीजिये और पढ़िए। 
Dear Friends. Copy of True Media November special issue dedicated to me and my works (in hindi ) is now available as e-magzine too. Please click the link below and read or copy paste on your browser. It will take hardly few seconds.


https://issuu.com/omprakash9/docs/true_20media_20nov_20issue_202017_2

मेरे व्यक्तित्व-कृतित्व पर केन्द्रित विशेषांक का विमोचन/ लोकार्पण

नई दिल्ली| ट्रू मीडिया ग्रुप ने 12 नवंबर 2017 को श्री गोवर्धन विद्या निकेतन, दिल्ली  में अपना सातवाँ स्थापना दिवस  मनाया। इस भव्य उत्सव में मेरे व्यक्तित्व-कृतित्व पर केन्द्रित विशेषांक का विमोचन/ लोकार्पण  भी किया गया | इस लोकार्पण में   दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के बड़े भाई श्री नरेंद्र कुमार सिसोदिया( विशिष्ठ अतिथि ),उस्ताद शायर राजेंद्र नाथ रहबर ( मुख्य अतिथि) श्री रामकिशोर उपाध्याय ( विशिष्ठ अतिथि ),श्री त्रिभवन कौल( विशिष्ठ अतिथि ),स्थानीय निगम पर्षादा कुसुम तोमर, ए.जी.एस. ग्रुप के चेयरमैन अमित गर्ग (विशिष्ठ अतिथि), सुश्री साक्षी, अशोक कश्यप (विशिष्ठ अतिथि),अतुल गोयल (विशिष्ठ अतिथि),डॉक्टर वीणा मित्तल (विशिष्ठ अतिथि),वसुधा कनुप्रिया (विशिष्ठ अतिथि),फिज़ाकत अली ( युरोफोब),  सुरेश पाल वर्मा 'जसाला' तथा  डॉ.पूनम माटिया,डॉ.पुष्पा जोशी, संगीता शर्मा, विष्णु दत्त शर्मा, , राजेश वर्मा,वीरेन्द्र सिंह, प्रवीण कौशिक, वीरेन्द्र सिंह, ओमप्रकाश शुक्ल,श्वेताभ पाठक, संजय गिरी,ए. एस. खान, मनोज कामदेव, डॉ.पवन,अभिषेक अम्बर,सौरभ प्रजापति आदि अन्य आमंत्रित सम्मानीय सुधिजनो  ने अपनी गरिमायी उपस्तिथि से समारोह को एक सफल और शानदार बना दिया। मैं ट्रू मीडिया की समस्त कार्यकारणी का विशेषकर इसके संस्थापक -संपादक श्री ओमप्रकाश प्रजापति जी का हार्दिक आभारी हूँ और ट्रू मीडिया के चहुंमुखी विशाल विस्तार की कामना करता हूँ।  प्रेषित हैं इस समारोह के छाया चित्र। मेरे लिए एक अविस्मरणीय दिन रहा।  (सौंजन्य : ट्रू मीडिया )/ 

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Thursday 9 November 2017

True Media November issue dedicated to me and my works

Copy of True Media November special issue dedicated to me and my works was presented to me by True Media Founder & editor Sh. Omprakash Prajapati Ji in the gracious company of S/Shri Rajesh Verma Ji, Shwetabh Pathak ji & Praveen Kaushik ji. Thank you True Media. It official release will be held on 12th November 2017 in Delhi.


आज ट्रू मीडिया के स्थापना दिवस पर मुझे ट्रू मीडिया के कार्यालय में जाने का अवसर प्राप्त हुआ तो अपने व्यक्तित्व -कृतित्व पर प्रकाशित ट्रू मीडिया के नवंबर विशेषांक की प्रति प्रथम बार संपादक -संस्थापक आदरणीय जी के हाथों प्राप्त हुई तो हर्ष का ठिकाना नहीं रहा।श्वेताभ पाठक जी, ,राजेश वर्मा जी और प्रवीण कौशिक जी के सानिध्य एक सुखद अनुभूति का अहसास करा गया। ट्रू मीडिया का और उनकी पूरी टीम का मैं हार्दिक आभारी हूँ।पत्रिका का लोकार्पण १२ नवंबर २०१७ को दिल्ली में होना तय है। सप्रेम।

Copy paste the following link on your browser friends and read entire magazine on line too.

https://issuu.com/omprakash9/docs/true_20media_20nov_20issue_202017_2



Wednesday 8 November 2017

हाइकू श्रृंखला -2


हाइकू श्रृंखला -2
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बादल घने
सतरंगी कमानी
बच्चे उल्लासी I
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उड़ते पंछी
स्वछंद सीमा पार
मनु बेचारा I
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ममता चीख़ें
रक्तिम नवजात
हर्षित तात I
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गगन चुम्भी
श्रमिक श्रम कण
स्व गन्दी बस्ती I
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बूँद औस की
धरती और पत्ता
कब्र या मोती I
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सूर्य की आभा
क्षितिज की मुस्कान
घर वापसी I
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Saturday 4 November 2017

Dear Friends./मित्रों।नमस्कार।



Dear Friends. I am very happy to inform that the November issue of True Media Delhi is totally dedicated to me featuring me and my works /exploits in hindi sahity. It will soon be available through online and print media on or before 10th of this month. It is due to your constant support and good wishes. I thank you all from the bottom of my heart

मित्रों।नमस्कार। आपको सूचित करते हुए असीम हर्ष का आभास हो रहा है कि आपकी अनगिनत शुभकामाओं  की ऊर्जा , सम्बल और साहित्यिक प्रेम के फलस्वरूप  ट्रू मीडिया का नवंबर अंक मेरे और मेरे साहित्यिक कृतित्व पर केंद्रित शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है।  यह अंक इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया दोनों पर उपलब्ध होगा।  मैं ट्रू मीडिया का, ट्रू मीडिया की सम्पूर्ण टीम का विशेष कर इनके संस्थापक -प्रधान सम्पादक आदरणीय  ओमप्रकाश प्रजापति जी का हार्दिक आभारी हूँ।  इस अंक का आवरण पृष्ठ आपके सम्मुख है। सप्रेम। 

.त्रिभवन कौल