Tuesday 5 December 2017

ज़हर

ज़हर
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ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
जीव बना  ज़हर ज़हर
जिधर देख ज़हर ज़हर
सुबह शाम यहाँ ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर। 

पानी ज़हर हवा ज़हर
सांसों साँस मिला ज़हर
पेड़ पौधे पिये ज़हर
पर्यावरण जिए ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।

खाद्य ज़हर  पथ्य ज़हर
कंद - मूल कथ्य ज़हर
सहिषुणता कर्म ज़हर
कलयुग में धर्म ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।

सोच ज़हर नज़र ज़हर
कामी का क़हर ज़हर
झूठ भाये सच ज़हर
घूमर संग  नच ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।

बोली  ज़हर भाव ज़हर
वोटों का प्रभाव ज़हर
देशहित संवाद ज़हर
जातियों का वाद ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।

शिव कौन जो पिये ज़हर ?
करे मंथन हरे ज़हर
इंसानियत ! मिटे ज़हर
इक भारती कटे  ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल 

9 comments:

  1. Comments via fb/ Purple Pen.
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    वसुधा कनुप्रिया 11:28am Dec 6
    ज़हर तो घुला ही है हवा में, मिट्टी में, खाद्य पदार्थों में.... फिर भी हम जी रहे हैं
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    Neelofar Neelu 11:46am Dec 6
    चतुर्दिक फैला ज़हर ज़हर
    बेहद उम्दा सृजन आदरणीय Tribhawan Kaul जी😊💐👌
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    A S Khan Ali 4:36pm Dec 6
    खुदा की ही मर्जी.....जिए जा रहा हूँ,
    ज़हरे-जिन्दगी जो....पिये जा रहा हूँ.
    मिली ज़िनको रोटी, वो सब चैन से हैं,
    मैं भूखा....बबाला....किये जा रहा हूँ.
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    Rajnee Ramdev 11:28am Dec 6
    वाहह लाज़वाब , ज़हर हर तरफ ज़हर
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    Deo Narain Sharma 8:07pm Dec 6
    कलयुग के प्रभाव पर सुन्दर सृजन और अति उत्तम भाव। जब इस धरा पर आये.है इसीके मध्य से जीवन जीने की सुन्दर कला को शिरोधार्य करना ही पडेगा।सकारात्मक सोच और मनहर.संस्कार निर्माण से मार्ग खोजना पडेगा।

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  2. Comments via fb/Poetry Junction.
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    Anjana Mishra 2:17pm Dec 6
    अति सुंदर
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    Neelima Kumar 7:09pm Dec 6
    यथार्थ चित्रण

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  3. Amit Dahiyabadshah 11:21am Dec 6
    Wah jaharjaharjaharjahar
    ----------------------via fb/Delhi Poetree

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  4. Tapeshwar Prasad
    December 6 at 12:00am
    Om Namah Shiyah: _()_
    -------------------via fb/निर्झरणी भावनाओं की'

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  5. Comments via fb/TL
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    Narendra Verma
    बहुत अच्छा जहर है साहब, बधाई
    December 6 at 11:12am
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    Vijaya Chaudhary
    Bhut bdiya
    December 6 at 11:32am
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    Anil Sahai
    Nice'zahar'.
    December 6 at 11:53am
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    Ramkishore Upadhyay
    क्या बात ,,,
    December 6 at 2:27pm
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    V A Sambandam
    We made poison for us.
    December 6 at 3:23pm
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  6. Comments via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (न्यास)
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    विवेक चौहान
    बहुत खूब सर लाजबाब
    December 5 at 5:25pm
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    Ramakant Poonam
    सुन्दर प्रदूषण विष्लेषण
    December 5 at 5:29pm
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    लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
    वाह ! क्या खूब लिखा आ. Tribhawan Kaul साहब ! हार्दिक बधाई । -
    कण्ठ नील करे जहर
    मिलावटी पेय जहर ।
    मनुज उगल रहा जहर
    कौन बचा बिना जहर ।।
    December 5 at 6:03pm
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    रतन राठौड़
    सुंदर सृजन ज़हर ज़हर ज़हर
    December 5 at 6:44pm
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    Kviytri Pramila Pandey
    वाहहहहह बहुतबहुत सुन्दर
    December 5 at 7:00pm
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    Milan Singh
    वास्तव ज़हर की ही भरमार हो गई है चाहे जिंदगी हो या पर्यावरण कोई इससे अछूता नहीं है।
    सबको बनना होगा शिव सा ही विषपायी
    संभवतः ही हरण हो पाएगा फैला ज़हर।
    अति सुंदर चिंतनीय सृजन।सादर नमन।
    December 5 at 7:26pm
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    Satish Verma
    अद्भुत चयनित शब्द संयोजन : अविरल, अर्थपूर्ण, मनभावन अनूठी रचना।
    December 5 at 7:58pm
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    Rajesh Srivastava
    अनुपम सृजन ,
    December 5 at 8:43pm
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    Savita Saurabh
    Group Moderator
    पर्यावरण एवं बदलते सामाजिक समीकरण को लक्षित कर सृजित सुन्दर सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।
    December 5 at 9:08pm
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    रकमिश सुल्तानपुरी
    वाह वाह,, बहुत सुंदर ,,,सच कहा आपने ,
    जहर पर्यावरण से लेकर ज़ेहन तक फैलता जा रहा है ,,,,स्वागतम,
    December 5 at 9:11pm
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    Sudha Mishra Dwivedi
    सुुंंदर सृजन
    December 5 at 9:16pm
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    Sharda Madra
    अत्यंत सुंदर सत्य का चित्रण करता हुआ गीत।
    December 5 at 10:06pm
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    Archana Sharma
    यथार्थ चित्रित हुआ ----- बधाई के पात्र है आप आदरणीय
    December 5 at 10:39pm
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    Rekha Joshi
    बहुत सुंदर रचना
    December 5 at 10:40pm
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    नीरजा मेहता
    गज़ब की रचना, लाजवाब सृजन
    December 5 at 10:58pm
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    Rajnee Ramdev
    वाहह क्या कहने
    अब समय आ गया है शिव फिर से पियें गरल
    December 5 at 11:04pm
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    Raj Kishor Pandey
    लाजवाब सृजन आदरणीय
    December 5 at 11:09pm
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    Pramila Arya
    वाहहह वाहहह वाहहह बहुत सुंदर यथार्थपरक सृजन
    December 6 at 5:53am
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    गोप कुमार मिश्र
    सुंदर सृजन ज़हर ज़हर ज़हर
    December 6 at 11:31am
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    Ramkishore Upadhyay
    शिव कौन जो पिये ज़हर ?
    करे मंथन हरे ज़हर
    इंसानियत ! मिटे ज़हर
    इक भारती कटे ज़हर
    ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
    ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।---वाह
    December 6 at 2:27pm
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    बलराम निगम
    बहुत सुंदर सृजन आदरणीय
    December 6 at 2:30pm
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    चंद्रकांता सिवाल
    बहुत खूब प्रदूषण चित्रण सादर 💐💐🙏
    December 6 at 3:31pm
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    गुप्ता कुमार सुशील
    वाह्ह् उत्कृष्ट प्रस्तुति आदरणीय....नमन
    December 6 at 3:45pm
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    ReplyDelete
  7. Rajeshwer Sharma
    December 6 at 10:04pm
    बहोत् खूब आदरणीय।
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    प्रमोद तिवारी हंस
    December 8 at 7:50am
    वाहहहहहह चिन्तन परक यथार्थ सृजन आदरणीय
    ---------------------via fb/TL

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  8. Comments via fb/मुक्तक-लोक.
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    मुरारि पचलंगिया 4:22pm Dec 8
    बहुत खूब
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    उत्तम मेहता 'उत्तम' 4:22pm Dec 8
    शिव कौन जो पिये ज़हर ?
    करे मंथन हरे ज़हर
    इंसानियत ! मिटे ज़हर
    इक भारती, कटे ज़हर
    ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
    ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।

    बेहतरीन......
    शिव कौन जो पिये ज़हर ?
    करे मंथन हरे ज़हर
    इंसानियत ! मिटे ज़हर
    इक भारती, कटे ज़हर
    ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर
    ज़हर ज़हर ज़हर ज़हर।
    पटर पर स्वागत आदरणीय
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    Sudha Ahluwalia 4:52pm Dec 8
    वाह
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    Ramjeet Ram 5:03pm Dec 8
    वाह
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    Subhash Singh 4:22pm Dec 8
    बेहतरीन अभिव्यक्ति
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    डा.उमाशंकर शुक्ल 'शितिकंठ' 4:24pm Dec 8
    बहुत खूब!सुंदर व्यंग्य।
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    Shyamal Sinha 9:04pm Dec 8
    वाहह
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    Vijay Anand 10:05am Dec 9
    अनुपम अत्युत्तम रचना
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    Deepa Gupta 10:05am Dec 9
    अनुपम सृजन आदरणीय
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    Satish Verma 10:06am Dec 9
    अद्भुत शब्द संयोजन : अनूठी मनभावन रचना।

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  9. via Poemhunter.com
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    Date & Time: 10/23/2018 12:47:00 PM
    Poem: 50702996 - ज़हर
    Member: Mohammed Asim Nehal
    Comment: बहुत खूब! आज कोई नहीं है जो इस ज़हर को पिए, कई गंभीर सवाल जुड़े हुए हैं आज के पर्यावण और इसके इर्द गिर्द हो रही समस्याओं से, मज़ा आगया 10++

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