Wednesday 28 March 2018

कुंडलियां- 4


हिन्द लोक सचेत रहें, फिरंगी सा विचार

विभाजन नग्न हो रहा, लडू खेप तैयार

लडू खेप तैयार, द्रोही करें अय्यारी

न्यौताए शत्रु देश, राजनीती मक्कारी

कहता त्रिभवन कौल, जाती विवाद लो रोक

ब्राह्मण दलित जाट, एक माला हिन्द लोक।।
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Thursday 22 March 2018

कुंडलियां-3

तेरह दिवस व्यर्थ गए, बहस नहीं बस शोर 

मिली भगत सबकी यहाँ, आरोपी सब ओर 

आरोपी सब ओर, मासूम बकरी जनता 

पीते छक कर दूध, बढ़वायें अपना भत्ता 

कहता त्रिभवन कौल, प्रज्ञता पर आये तरस

बटवारे की नीति, चमकाए तेरह दिवस।।
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल 


Image curtsey Google

Wednesday 21 March 2018

वर्ण पिरामिड (63-64)


वर्ण पिरामिड (प्रदत्त शब्द :- पूजा /आराधना)

हे 
जन 
सृजन 
आराधना 
भाव विचार  
परम चेतन 
सरस्वती वंदन
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है 
खोज 
ईश्वर
भटकन 
पूजा अर्चन
अज्ञानी इंसान 
सेवा कर्म महान
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 सर्वधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल/ 21-03-2018

@On World Poetry Day@

Rebirth of Phoenix
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Seeds, buried through devil’s cleansing
Scattered with violent compulsion
Swirling wind swallowing whole
Sprouting to regain the freshness.

Lotus does thrive in marshes
Blooming with pride even when plucked
Everything is lost yet not lost
Courage, ethos, culture, knowledge
Enough to salvage
Hope and future.

In states, countries, on our planet
Let humanity burn like candles
Groaning under the weight of hanging albatross
Human spirit always prevails
Glowing throw endurance personified
Dare call us refugees
Phoenix will rise from the ashes once again.
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All rights reserved/Tribhawan Kaul

@विश्व कविता दिवस पर विशेष @

@विश्व कविता दिवस पर विशेष @


(ओम )
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मुझमें मेरी शून्यता पैदा करता है
शारीरिक इकाई के दायरे से परे
दूरी की विशालता का उल्लंघन करने
मेरे प्रिय के सानिध्य का आभास दिलाने
जिसके साथ में मिलना चाहता हूँ
एक अदृश्य शक्ति बंधन
अनन्त और अविनाशी
मेरे शरीर में संपन्न
मैं जब उच्चारण करता हूँ
बस एक ध्वनि, और
विनम्रता मुझे गोद लेती है।

मैं, ध्वनि और दूरी से हो कर
आकाश बन जाता हूँ
जो मुझे आत्मिक रूप से आह्वान करता है
ब्रह्मांड की यात्रा के प्रलोभन से 
धकेलने लगता है उस समीप्य की ओर
परमात्मा के मिलन का जहाँ है छोर
उच्चतम और प्रदीप्यमान
एक आध्यात्मिक अनुभव दे
अलौकिक  शून्यपन में
अद्भुत काम कर रहे गुहाओं (अंतःकरण )के माध्यम से
उसकी उपस्थिति महसूस करता हूँ
उच्चारित स्वासों में। 
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल





Monday 19 March 2018

वह दिन याद आते हैं

 वह दिन याद आते हैं
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वह दिन याद आते हैं, जब वह मुस्कुराती थी
कमल खिलते थे यूँही, जब वह गुनगुनाती थी
साये में प्यार के उसके जिया, आज तक इश्वर
मेरे आहट सुनते ही, पायल झनझनाती थी ।।

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नहा कर जब निकलती थी, चंदा पास आता था
बालों का छिटकना यूँ, सावन रास आता था
रूहानी प्यार था उसका, समझता तू भी है ईश्वर
जाऊं जो दूर भी उससे, तो उसको त्रास आता था ।।

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ख़ुशी चाहती थी वह मेरी, बस मेरा गम लेकर
प्रकाशित करे मेरा जीवन, बस मेरा तम लेकर
कभी समझा नहीं सदनीयत, अब क्या कहूँ ईश्वर
जी रहा हूँ मैं अब तक, केवल अपना भ्रम लेकर ।।

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पास उसके रह कर भी, मैं अनजान रहता था
न वह बात करती थी, न मैं ही बात करता था
अहं ने मारी कुंडली, क्या बताऊँ तुम्हे ईश्वर
न मुझको वह समझती थी, न मैं उसको समझता था ।।

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अहं शह एक ऐसी है, धुरंधर पस्त होते हैं
मोहोब्बत चीज़ ही क्या, पुरन्धर त्रस्त होते हैं
अहं ना हो इंसा भी, तेरा ही रूप हो ईश्वर
बचे जो अहं से त्रिभवन सारे मस्त होते हैं ।।
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

Friday 16 March 2018

विश्वास मत

संगठन में हड़कंप मच गया। बोर्ड के कोर समिति के ही एक सदस्य  श्रीनिवास ने मैनेजिंग डायरेक्टर चन्द्रगुप्त के और उसकी  कोर समिति के  विरुद्ध विश्वास मत का प्रस्ताव बोर्ड मीटिंग में रख दिया। तय दिन पर विश्वास मत चन्द्रगुप्त और उसकी कोर समिति मात्र एक मत से बहुमत जीत गयी। 
कुछ ही अंतराल में पूरे संगठन में बड़े हेर फेर किये गए। नये बोर्ड में तब सबको आश्चर्य तब हुआ जब श्रीनिवास को फिर से चन्द्रगुप्त ने बोर्ड की कोर समिति में फिर मनोनीत कर दिया। 

" मैं आपका आभारी हूँ श्रीनिवास जी " चन्द्रगुप्त मोबाइल पर बात कर रहे थे।
 "हमारी योजना सफल हुई। पता लग गया बरगद की पेड़ में कितनी शाखाएं कमजोर हैं। भविष्य के लिए उनको काटना जरूरी हो जाएगा "

त्रिभवन कौल 


Wednesday 14 March 2018

सुक्ष्म कथा -5



चौक पर 200 भारतीय युवक युवतियों का जमावड़ा था।
नेता सरीखे कुछ युवकों ने इशारा किया। चौक नारों से गूंजने लगा।
" हमे क्या चाहिए -आज़ादी , आज़ादी "
"भारत तेरे टुकड़े हज़ार -इंशाल्लाह ,इंशाल्लाह "
13 वर्ष के भारत ने माता का आंचल खींचा ," माँ, आज़ादी का क्या मतलब है ?"
माता के चेहरे पर वेदना और मुस्कान का मिश्रण स्पष्ट था। 
" भारत बेटे। यह कठपुतलियां है। इनको मालूम नहीं कि यही 'आज़ादी'  है। चीन जैसे देशों में ऐसा कहते या करते तो टैंकों द्वारा कुचले जाते। इनकी लाशों को अब तक चील और कौवे नोच रहे होते "
त्रिभवन कौल
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Saturday 10 March 2018

सूक्ष्म कथा -4


हमें तो सर्वगुण संम्पन बहु ही चाहिए।
हमें भी सर्वगुण संम्पन दामाद चाहिए।
शादी की नौबत नहीं आयी।
सभी सुख में दिन बिताने लगे।
त्रिभवन कौल

मधुर काव्य संध्या



प्रेमांजलि साहित्य संस्था, मुंबई  के तत्वावधान में नागपुर की प्रसिद्ध वरिष्ठ कवियत्री सुश्री मधु गुप्ता के सम्मान में   मधुर काव्य संध्या  का आयोजन प्रसिद्ध वरिष्ठ कवि /लेखक श्री लक्ष्मण दूबे जी के मीरा रोड स्थित निवास स्थान  नताशा अपार्टमेंट्स  में दिनांक ७ मार्च २०१८ को  सम्पन्न हुआ । गोष्ठी की अध्यक्षता नामचीन ग़ज़लकार जनाब इब्राहिम अश्क जी ने की।  मुंबई , ठाणे , दिल्ली ,पटना और जम्मू -कश्मीर से पधारे उम्दा और नामी शायरों ने /कवियों ने अपनी ग़ज़लों से /कविताओं से अपने अपने काव्य पाठ से सभी का मन मोह लिया जिसमे प्रसिद्ध शायर /कवि /कवियत्री जनाब शमीम अब्बास जी और  रफ़ीक़ राज जी के साथ साथ सुश्री मधु गुप्ता जी, हेमा अंजुली जी , सर्व श्री लक्ष्मण दुबे जी , राकेश शर्मा जी , हृदय मयंक जी , प्रमोद कुश 'तन्हा' जी , बी एन नादान जी , सुरेश रहेजा जी, मुस्तफा जी , अनगढ़ जी ,श्रीराम शर्मा जी , विधु भूषण त्रिवेदी जी, , शशि शेखर जी , हंसराज चौधरी जी , उल्लेखनीय रहे।  आपके मित्र को , प्रेमांजलि साहित्य संस्था, मुंबई के अध्यक्ष श्री विधु भूषण त्रिवेदी जी और संयोजक  श्री श्रीराम शर्मा जी के  स्नेहपूर्ण  आमंत्रण से इस आलिशान काव्य संध्या का साक्षी बनने का अवसर मिला जिसके लिए मैं (त्रिभवन कौल) उनका हार्दिक धन्यवाद प्रकट करता हूँ। प्रसिद्ध कवि -लेखक श्री लक्ष्मण दूबे जी और श्रीमती दूबे जी को उनके शानदार आतिथ्य सत्कार/ भोज  की लिए हार्दिक आभार। इस काव्य संध्या के कुछ प्राप्त छाया चित्र प्रेषित हैं।  सप्रेम।